सरदार पटेल भारत के पहले गृहमंत्री थे और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश की रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण का श्रेय उनकी सियासी और कूटनीतिक क्षमता को दिया जाता है। साल 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को ‘नेशनल यूनिटी डे’ या ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
गुजरात में नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के सामने सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची लौह प्रतिमा का निर्माण किया गया है। इस प्रतिमा का नाम ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ रखा गया है। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में हुआ था।
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लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 145वीं जयंती पर आइये उनके अनमोल विचारों को जानते हैं...
"आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।"
"इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।"
"शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।"
"मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।"
"आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।"
"अधिकार मनुष्य को तब तक अंधा बनाये रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे।"
"संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।"
"जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।"
"मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।"
"आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।"