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Sankashti Ganesh Chaturthi: सावन में ऐसे करें संकष्ठी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा, होगी हर मनोकामना पूर्ण

Sankashti Ganesh Chaturthi: सावन के इस पावन माह में संकष्ठी गणेश चतुर्थी व्रत या फिर पूजा करने से आपको चौगुने फल की प्राप्ति होगी। जानें पूजा विधि, कथा और मनाने का कारण।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : July 20, 2019 14:49 IST
Ganesha chaturthi
Ganesha chaturthi

Sankashti Ganesh Chaturthi: आज श्रावण कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि और शनिवार का दिन है। तृतीया सुबह 9 बजकर 14 मिनट तक रहेगी और इसके बाद चतुर्थी शुरू हो जाएगी। लिहाज़ा संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत भी 20 जुलाई, शनिवार को पड़ रही है।

संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक होता है। चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही इस व्रत का पारण होता है। आज चंद्रोदय 9 बजकर 18 मिनट पर होगा। जीवन से सभी कष्टों को दूर करने वाले इस व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्री गणेश के निमित्त व्रत किया जाता है। इसे सकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

महीने में दो बार चतुर्थी का व्रत होता है। कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी तो वहीं शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। आज सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा कर, उन्हे तिल गुड़ का भोग लगाना चाहिए। इससे आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी। आपको बता दूं कि भगवान गणेश सभी देवताओं में प्रथम पूज्य एवं विघ्न विनाशक है। इन्हे बुद्धि, समृधि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। इस दिन व्रत रखने से मनवांछित फल तो मिलता ही है साथ ही व्यक्ति को हर पाप से मुक्ति मिलती है।

सावन के इस पावन माह में संकष्ठी गणेश चतुर्थी व्रत या फिर पूजा करने से आपको चौगुने फल की प्राप्ति होगी। जानें पूजा विधि, कथा और मनाने का कारण।

क्यों मनाते हैं संकष्टी चतुर्थी?

संकष्टी चतर्थी मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं जिनमें से एक यह भी प्रचलित है कि एक दिन माता पार्वती और भगवान शिव नदी किनारे बैठे हुए थे। और अचानक ही माता पार्वती का मन चोपड़ खेलने का हुआ। लेकिन उस समय वहां पार्वती और शिव के अलावा और कोई तीसरा नहीं था, ऐसे में कोई तीसरा व्यक्ति चाहिए था जो हार-जीत का फैसला कर सके। इस वजह से दोनों ने एक मिट्टी मूर्ति बनाकर उसमें जान फूंक दी। और उसे शिव व पार्वती के बीच हार जीत का फैसला करने को कहा।

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चोपड़ के खेल में माता पार्वती विजयी हुईं। यह खेल लगातार चलता रहा जिसमें तीन से चार बार माता पार्वती जीतीं लेकिन एक बार बालक ने गलती से पार्वती को हारा हुआ और शिव को विजयी घोषित कर दिया। इस पर माता पार्वती क्रोधित हुईं। और उस बालक को लंगड़ा बना दिया। बच्चे ने अपनी गलती की माफी भी माता पार्वती से मांगी और कहा कि मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दो। लेकिन माता पार्वती उस समय गुस्से में थीं और बालक की एक ना सुनी। और माता पार्वती ने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता। लेकिन एक उपाय है जो तुम्हें इससे मुक्ति दिला सकता है। और कहा कि इस जगह पर संकष्टी के दिन कुछ कन्याएं पूजा करने आती हैं।

तुम उनसे व्रत की विधि पूछना और उस व्रत को करना। बालक ने वैसा ही किया जैसा माता पार्वती ने कहा था। बालक की पूजा से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और बालक की मनोकामाना पूरी करते हैं। इस कथा से यह मालूम होत है कि गणेश की पूजा यदि पूरी श्रद्धा से की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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संकष्ठी चतुर्थी पूजा विधि
सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें। पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें। भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें। अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें। इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है। त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें. इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें। पूजन उपरांत चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा
संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश का जन्मदिवस है और इस दिन को भारत के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों धूमधाम से मनाया जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत बहुत कठीन होता है। इस व्रत में केवल फलों का ही सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा मूंगफली, साबूदाना आदि भी खाया जा सकता है। यह उपवास चंद्रमा को देखकर तोड़ा जाता है।

इस दिन जब आप उपवास रखें तो भगवान गणेश की कथा जरूर सुनें। ऐसा करने से ही आपकी पूजा सफल होगी। इस उपवास को करने वाले व्यक्ति को सुबह नहा धोकर लाल रंग का कपड़ा पहनना चाहिए। पूजा के दौरान फल-फूल आदि चढ़ाएं और गणेश की अराधना करें। गणेश को मोदक का भोग जरूर लगाएं। पूरे विधि विधान से पूजा करने के बाद गणेश मंत्र ओम गणेशाय नमः का जाप करें। यह जाप आप 108 बार करें।

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