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संकष्ठी चतुर्थी के दिन इस विधि से चढ़ाएं गणेश जी को दुर्वा, होगी हर इच्छा पूरी

Sankashti chaturthi: माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा पाठ करने से संतान की प्राप्ति होती है। अगर आप ये व्रत नहीं करते है तो गणेश जी को दुर्वा चढ़ाकर और थोड़ी विधि के साथ पूजा कर प्रसन्न कर सकते है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : January 23, 2019 19:56 IST
 sankashti chaturthi
 sankashti chaturthi

धर्म डेस्क: गणपति को विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धी का स्वामी कहा जाता है। इनका स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओं की पूर्ति होती है व विघ्नों का विनाश होता है। वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले बुद्धि के अधिष्ठाता और साक्षात् प्रणवरूप है। 24 जनवरी को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनया जा रह है। माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा पाठ करने से संतान की प्राप्ति होती है। अगर आप ये व्रत नहीं करते है तो गणेश जी को दुर्वा चढ़ाकर और थोड़ी विधि के साथ पूजा कर प्रसन्न कर सकते है।

आपको बता दें कि गणेश का मतलब है गणों का स्वामी। किसी पूजा, आराधना, अनुष्ठान व कार्य में गणेश जी के गण कोई विघ्न-बाधा न पहुंचाएं, इसलिए सर्वप्रथम गणेश-पूजा करके उसकी कृपा प्राप्त की जाती है।

गणेश जी को दूर्वा चढाने की मान्यता है माना जाता हौ कि उन्हे दूर्वा चढाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, क्योंकि श्री गणेश को हरियाली बहुत पंसद है। गणेश जी को प्रदान की गई दूर्वा जातक के जीवन में भी हरियाली यानी कि खुशियों को बढ़ाने वाली होती है।

ऐसे चढाई जाती है गणेश जी को दुर्वा

गणेश जी को दूर्वा एक खास तरीके से चढ़ाई जाती है। गणेश जी को हमेशा दूर्वा का जोड़ा बनाकर चढ़ाना चाहिए यानि कि 22 दूर्वा को जोड़े से बनाने पर 11 जोड़ा दूर्वा का तैयार हो जाता है। जिसे भगवान गणेश को अर्पित करने से मनोकामना की पूर्ति में सहायक माना गया है। जानिए श्री गणेश को जोडे में दूर्वा क्यों चढाई जाती है और किस तरह। (Sankashti Chaturthi 2019: आज के दिन गणेश जी को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा दिन, जरुर करें ये उपाय )

जीवन में सुख व समृद्धि की प्राप्ति के लिए श्रीगणेश को दूर्वा ज़रुर अर्पित की जानी चाहिए। दूर्वा एक प्रकार की घास है। जिसे किसी भी बगीचे में आसानी से उगाया जा सकता है।  भगवान श्रीगणेश को अर्पित की जाने वाली दूर्वा श्री गणेश को 3 या 5 गांठ वाली दूर्वा अर्पित की जाती है। (Sankashti Chaturthi 2019: आज के दिन गणेश जी को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा दिन, जरुर करें ये उपाय )

किसी मंदिर की जमीन में उगी हुई या बगीचे में उगी हुई दूर्वा लेना चाहिए। ऐसी जगह जहां गंदे पानी बहकर जाता हो और दूर्वा उग आयी हो । वहां से दूर्वा का चुनाव नहीं किया जाना चाहिए। श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाने का मंत्र श्री गणेश को 22 दूर्वा इन विशेष मंत्रों के साथ अर्पित की जानी चाहिए।

इन मंत्रों के साथ गणेश जी को 11 जोड़ा दूर्वा चढ़ाए-
ऊं गणाधिपाय नमः
ऊं उमापुत्राय नमः
ऊं विघ्ननाशनाय नमः

ऊं विनायकाय नमः
ऊं ईशपुत्राय नमः
ऊं सर्वसिद्धिप्रदाय नमः

ऊंएकदन्ताय नमः
ऊं इभवक्त्राय नमः
ऊं मूषकवाहनाय नमः
ऊं कुमारगुरवे नमः रिद्धि-सिद्धि सहिताय

श्री मन्महागणाधिपतये नमः
यदि आपको लग रहा कि इन मंत्रों को बोलनें में आपको परेशानी होगी तो इस मंत्र को बोल कर गणेश जी को दूर्वा अर्पण करें।
श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि।

इस कारण चढ़ाई जाती है दूर्वा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था। इस दैत्य के कोप से स्वर्ग और धरती पर त्राही-त्राही मची हुई थी। अनलासुर ऋषि-मुनियों और आम लोगों को जिंदा निगल जाता था। दैत्य से त्रस्त होकर देवराज इंद्र सहित सभी देवी-देवता और प्रमुख ऋषि-मुनि महादेव से प्रार्थना करने पहुंचे। सभी ने शिवजी से प्रार्थना की कि वे अनलासुर के आतंक का नाश करें।

शिवजी ने सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर कहा कि अनलासुर का अंत केवल श्रीगणेश ही कर सकते हैं।

जब श्रीगणेश ने अनलासुर को निगला तो उनके पेट में बहुत जलन होने लगी। कई प्रकार के उपाय करने के बाद भी गणेशजी के पेट की जलन शांत नहीं हो रही थी। तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठ बनाकर श्रीगणेश को खाने को दी। जब गणेशजी ने दूर्वा ग्रहण की तो उनके पेट की जलन शांत हो गई। तभी से श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई।

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