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Sankashti Chaturthi Vrat: संकष्ठी चतुर्थी के दिन ऐसे करें गणेश जी की पूजा, होगी हर मनोकामना पूर्ण

संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का अर्थ होता है- संकटों को हरने वाली। भगवान गणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य को देने वाले हैं । इनकी उपासना शीघ्र फलदायी मानी गई है । जानें शुभ मुहूर्त, व्रत विधि के बारें में।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: May 21, 2019 22:28 IST
sankashti chaturthi 2019- India TV Hindi
sankashti chaturthi 2019

धर्म डेस्क: आज ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि और बुधवार का दिन है । शास्त्रों में बुधवार का दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए बड़ा ही विशेष माना जाता है और आज के दिन तो संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत भी है।  अत: आज बुधवार के दिन संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत के उपलक्ष्य में भगवान श्री गणेश की उपासना बड़ी ही फलदायी होगी।

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार श्री गणेश को चतुर्थी तिथि का अधिष्ठाता माना जाता है । इस हिसाब से हर माह के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा का विधान है। बस फर्क केवल इतना है कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

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संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का अर्थ होता है- संकटों को हरने वाली। भगवान गणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य को देने वाले हैं । इनकी उपासना शीघ्र फलदायी मानी गई है । कहते हैं कि जो व्यक्ति आज के दिन व्रत करता है, उसके जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान निकलता है और उसके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है ।

संकष्ठी चतुर्थी व्रत का पारण

आपको बता दूं कि ये व्रत सुबह से लेकर शाम को चन्द्रोदय होने तक किया जाता है और चन्द्रोदय होने पर चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है । जानकारी के लिये आपको बता दूं कि चन्द्रोदय आज रात 10 बजकर 35 मिनट पर होगा ।

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संकष्ठी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर नित्य क्रिया करने के बाद स्नान करें और फिर लाल रंग का वस्त्र पहनें। दोपहर के समय घर में देवस्थान पर सोने, चांदी, पीतल, मिट्टी या फिर तांबे की श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद संकल्प करें और षोडशोपचार पूजन करने के बाद भगवान गणेश की आरती करें।
'ऊं गं गणपतयै नम:' का जाप करें

अब भगवान गणेश की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाएं और 'ऊं गं गणपतयै नम:' का जाप करते हुए 21 दूर्वा भी चढ़ाएं। इसके बाद श्रीगणेश को 21 लड्डूओं का भोग लगाएं और इन लड्डूओं को चढ़ाने के बाद इनमें से पांच लड्डू ब्राह्मणों को दान कर दें, जबकि पांच लड्डू गणेश देवता के चरणों में छोड़ दें और बाकी प्रसाद के रुप में बांट दें। पूरी विधि विधान से श्री गणेश की पूजा करते हुए श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।

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