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Sakat Chauth 2021: 31 जनवरी को है सकट चौथ, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

सकट चौथ 31 जनवरी को है। जानिए सकट चौथ का शुभ मूहूर्त, पूजा विधि और कथा।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: January 30, 2021 23:30 IST
Lord Ganesha - India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/ LORD.GANESHA Lord Ganesha 

माघ महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया को पड़ने वाले सकट चौथ का खास महत्व है। इस बार सकट चौथ 31 जनवरी को है। ये व्रत महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए रखती हैं। सकट व्रत को कई और नामों से जाना जाता है। ये नाम हैं सकटा चौथ, संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट चौथ और माघी चतुर्थी भी कहा जाता है। सकटा चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। जानें सकट व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि। 

सकट चौथ मुहूर्त 2021

चतुर्थी तिथि आरंभ: 31 जनवरी 2021 की रात 8 बजकर 24 मिनट से 
चतुर्थी तिथि समाप्ति : 1 फरवरी 2021 को शाम 6 बजकर 24 मिनट पर

सकट चौथ का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सकट चौथ का विशेष महत्व है। ये व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुखी जीवन की कामना के साथ रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं भगवान गणेश की पूजा करती हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही संतान को लंबी आयु और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन घर में महिलाएं तिल और गुड़ की चीजें बनाती हैं। इसके साथ ही भगवान को तिलकुट और अन्य मौसमी चीजों जैसे गाजर और शकरकंद का भोग लगाया जाता है। 

सकट चौथ की पूजा विधि

  • व्रत रखने वाली महिलाएं सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें
  • इसके बाद पूजा घर में जाकर निर्जला व्रत रखने का संकल्प लें
  • दिनभर मन में भगवान गणेश का स्मरण करते रहें
  • भगवान गणेश को पीले वस्त्र पहनाएं और उनकी स्थापना करें
  • गणपति भगवान को सिंदूर, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप और जल अर्पित करें
  • गणेश पूजन के बाद रात में चंद्रोदय होते ही दूध में शहद, चंदन, रोली मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें
  • प्रसाद में चढ़ाए गए लड्डू ग्रहण करके व्रत को खोलें

सकट चौथ की कथा 
पौराणिक कथा के अनुसार सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के राज में एक कुम्हार रहा करता था। एक बार उसने बर्तन बनाकर आवा लगाया, पर बहुत देर तक आवा पका नहीं। बार-बार नुकसान होता देखकर कुम्हार एक तांत्रिक के पास गया और उसने तांत्रिक से मदद मांग ली।

तांत्रिक ने कुम्हार की बात सुनी और उससे एक बालक की बली देने के लिए कहा। उसके कहने पर कुम्हार ने एक छोटे बच्चे को आवा में डाल दिया। जिस दिन कुम्हार ने छोटे बच्चे को आवा में डाला उस दिन संकष्टी चतुर्थी थी। उस छोटे बच्चे  की मां ने अपनी संतान के प्राणों की रक्षा के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना की। 

कुम्हार जब अपने बर्तनों को देखने गया तो उसे बर्तन पके हुए मिले और साथ ही छोटा बच्चा भी सुरक्षित मिला। इस घटना के बाद कुम्हार डर गया और उसने राजा के सामने पूरी कहानी सुनाई। इसके बाद राजा ने बच्चे और उसकी मां को बुलवाया तो मां ने संकटों को दूर करने वाली सकट चौथ की महिमा का गुणगान किया। तभी से महिलाएं अपनी संतान और अपने परिवार की कुशलता और सौभाग्य के लिए सकट चौथ का व्रत करने लगीं।

 

 

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