शिरडी साई बाबा में किसी भी व्यक्ति को बिना जाति-पात किए दर्शन हो जाते हैं। माना जाता है कि शिरडी साई बाबा की कर्मस्थली होने के साथ-साथ यही देह त्याग किया था। जिस कारण हर साल लाखों लोग दर्शन करने के लिए शिरडी पहुंचते है। हर गुरुवार को भक्तों की लंबी लाइन लगती है। क्योंकि साई बाबा को चमत्कारी मानी जाता है। कुछ समय पहले साई बाबा की जाति को लेकर मुद्दा सामने आया था। जो ठंडा ही हुआ था कि एक ओर विवाद सामने आ गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से अपने भाषण में साई की जन्मभूमि का नाम पाथरी बताया है। जो शिरडी से करीब 275 किलोमीटर दूर है। जिसके साथ ही विवाद शुरु हो गया है। दरअसल शिरडी साई ट्रस्ट के कार्यकर्ता इस बयान का काफी विरोध कर रहे है। वह पाथरी के विकास के दिए 100 करोड़ रुपए के लिए नहीं बल्कि साई की जन्मभूमि को लेकर कहना उचित नहीं समझते है। यह विदा इतना ज्यादा बढ़ गया कि शिरडी साईं ट्रस्ट ने इस मंदिर को रविवार से अनिश्चित काल के लिए बंद करने का फैसला ले लिया है। मंदिर बंद करने से पहले शनिवार को एक सभा का आयोजन किया जाएगा। शिरडी खुलने के बाद अगर आप जाने की सोच रहे है तो पहले जान लें कैसे और कहां-कहां घूमने का है स्थान।
शिरडी में साई मंदिर को साई की सामाधि के ऊपर बनाया हुआ है। इस मंदिर का निर्माण 1922 में किया गया था। साईं को कुछ लोग फकीर और कुछ लोग आध्यात्मिक गुरु के रुप में मानते है। साई के भक्त हर धर्म में मौजूद है।
साईं बाबा के दर्शन
साईं मंदिर के कपाट सुबह 4 बजे खुल जाते है। इसके साथ ही 5 बजे आरती का आयोजन किया जाता है। सुबह 5 बजकर 40 मिनट में भक्त दर्शन करना शुरू कर देते है। दोपहर 12 बजे और शाम को सूर्यास्त के तुरंत बाद आरती आयोजन की जाती है। रात 10 बजकर 30 मिनट में अंतिम आरती के साथ साईं बाबा की मूर्ति को एक शॉल से ढक दी जाती है। इसके साथ ही एक रुद्राक्ष की माला पहनाई जाती है। जिसके बाद समीप में पानी और मच्छरदानी लगा दी जाती है। रात 11 बजकर 15 मिनट में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते है।
साईं मंदिर में चढ़ावा
हर साल साई मंदिर में अपनी इच्छा के अनुसार चढ़ावा चढ़ाया जाता है। यगह एक ऐसा मंदिर है जहां पर रिकार्ड तोड़ चढ़ावा चढ़ता है। कई लोग तो करोड़ों रुपए का गुप्तदान भी कर देते है। आधिकारिक पुष्टि के अनुसार हर साल करीब 5 करोड़ का चढ़ावा साई मंदिर में आता है।
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साई मंदिर के आसपास घूमने की जगह
अगर आप साई के दर्शन करने के बाद घूमना चाहते है तो आप इन जगहों की ओर रुख कर सकते हैं।
शनि शिंगणापुर
आप इस मंदिर की ओर रुख कर सकते है। यह साईं मंदिर से करीब 65 किलोमीटर दूर है। यहां पर तेल चढ़ाने से आपके कुंडली से साढ़ेसाती और ढैय्या हट जाती है।
खानडोबा मंदिर
भगवान शिव से समर्पित यह मंदिर मुख्य मार्ग में ही स्थित है। इस मंदिर के मुख्य पुजारी महलसापति ने साईं का शिरडी में स्वागत करते हुए कहा था - 'आओ साईं'। जिसके साथ ही उन्हें भक्त साई बाबा के नाम से पुकारने लगे थे। इस मंदिर में आपतो महलसापति, उनकी पत्नी और बेटे की तस्वीर लगी हुई नजर आएगी।
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साईं म्यूजियम
साईं ने अपने डीवन में किन-किन चीजों का इस्तेमाल किया था। वह सभी चीजें इस म्यूजियम में मौजूद है। इसमें आपको साईं का पादुका, खानडोबा के पुजारी को साईं के दिए सिक्के, समूह में लोगों को खिलाने के लिए इस्तेमाल हुए बर्तन, साईं द्वारा इस्तेमाल की गई पीसने की चक्की आदि देखने को मिल जाएगी।
कैसे पहुंचे शिरडी
ट्रेन के द्वारा
अगर आप दिल्ली से जा रहे है तो आप मनमाड और कोपार गांव के लिए ट्रेन ले सकते हैं। जहां से आप लोकल टैक्सी का इस्तेमाल करके करीब 2 घंटे में शिरडी पहुंच सकते है।
फ्लाइट
अगर आप दिल्ली से फ्लाइट के द्वारा जाना चाहते है तो आपको यहां के लिए सीधी उड़ान मिल जाएगी। जो करीब 2 घंटे में दिल्ली से शिरडी पहुंचा देगी।