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Rishi Panchami 2021: ऋषि पंचमी आज, जानिए पूजन विधि-शुभ मुहूर्त और महत्व

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 11 सितंबर, शनिवार को है। ऋषि पंचमी का व्रत मुख्य रूप से सप्तऋषियों को समर्पित है।

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: September 11, 2021 13:05 IST
rishi panchami 2021 - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV ऋषि पंचमी 2021 

हर साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर ऋषि पंचमी व्रत पड़ता है। इस दिन सप्त ऋर्षियों का पूजन किया जाता है। महिलाएं इस दिन सप्त ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त करने और सुख शांति एवं समृद्धि की कामना से यह व्रत रखती हैं। जाने-अनजाने हुई गलतियों और भूल से मुक्ति पाने के लिए लोग ये व्रत जरूर करते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति ऋषियों की पूजा-अर्चना और स्मरण करता है उन्हें पापों से मुक्ति मिल जाती है। 

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ऋषि पंचमी शुभ मुहूर्त

ऋषि पंचमी के व्रत और पूजा की खास बात ये है कि इसे करने के लिए किसी खास समय की जरूरत नहीं है। शुभ मुहूर्त 11 सितंबर सुबह 6 बजकर 7 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 12 सितंबर 6 बजकर 7 मिनट पर ही समाप्त होगा। ऋषि पंचमी के लिए पूरा दिन ही शुभ है। आप किसी भी समय पूजा आदि कर सकते हैं। 

ऋषि पंचमी के करें इनकी पूजा 

पारंपरिक रूप से ऋषि पंचमी के दिन सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। सप्त ऋषि मतलब सात ऋषि। इन सात ऋषियों के नाम हैं- ऋषि कश्यप, ऋषि अत्रि, ऋषि भारद्वाज, ऋषि विश्वमित्र, ऋषि गौतम, ऋषि जमदग्नि और ऋषि वशिष्ठ। कहते हैं सामज के उत्थान और कल्याण के लिए इन ऋषियों ने अपना सहयोग दिया था। उनके इस महत्वपूर्ण योगदान के प्रति सम्मान जताने के लिए ऋषि पंचमी के दिन व्रत और पूजा-अर्चना की जाती है।  

ऋषि पंचमी व्रत कथा

ऋषि पंचमी की व्रत कथा के बारे में भविष्य पुराण में लिखा गया गया है कि विदर्भ देश में एक उत्तम नाम का ब्राह्मण था। उसकी पत्नी का नाम सुशीला था। उत्तक के दो बच्चे एक पुत्र और पुत्री थे। उत्तक ने विवाह योग्य होने पर बेटी का विवाह कर दिया। शादी के कुछ दिन बाद भी बेटी के पति की अकाल मृत्यु हो गई। इसके बाद उसकी बेटी अपने पिता के घर वापस आ गई।

एक दिन उत्तक की विधवा पुत्री सो रही थी। तभी उसकी मां ने देखा कि पुत्री के शरीर में कीड़े हो गए हैं। बेटी को इस हालत में देखकर सुशीला परेशान हो गई। इस बारे में उसने अपने पति को बताया। ब्राह्मण ने ध्यान लगाया और पुत्री के पूर्व जन्म के बारे में देखा। ब्राह्मण ने ध्यान में देखा कि उसकी बेटी पहले भी ब्राह्मण परिवार से थी लेकिन मासिक धर्म के दौरान उसने पूजा के बर्तनों को छू लिया था।

इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उसने ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं रखा। जिसकी वजह से इस जन्म में उसे कीड़े पड़े। पिता के कहने पर विधवा बेटी ने दुखों से मुक्ति पाने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत किया और इससे उसे अटल सौभाग्य की प्राप्ति हुई। 

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