मनोवैज्ञानिक डॉ. सपना जरवाल कहती हैं, "बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं। वे अपने माता-पिता को देखकर सीखते हैं, जिससे उनके व्यक्तित्व का विकास होता है। अपने माता-पिता से बार-बार 'न' सुनकर बच्चे झूठ बोलने या फिर अपने माता-पिता से चीजें छिपाने लगते हैं। इससे उनके आत्मविश्वास को नुकसान पहुंचता है और वे सामाजिक रूप से अलग रहने लगते हैं।"
उन्होंने कहा, "इन चीजों से मां और बच्चे के बीच संबंध खराब हो सकते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि मां को एहसास हो कि असली समस्या बच्चे की मांग नहीं, बल्कि उनका कमजोर प्रतिरोधी तंत्र है, जिस कारण वे बार-बार बीमार पड़ते हैं।"
डॉ. सपना के मुताबिक, मां बच्चों को 'न' इसलिए कहती हैं कि वे उनके संपूर्ण विकास के लिए फिक्रमंद होती हैं। कामकाजी मां के बच्चे कई बार उनकी निगरानी के बिना खाते-पीते हैं, जिस कारण माताओं के लिए यह सुनिश्चित करना बहुत मुश्किल हो जाता है कि उनके बच्चे को सभी जरूरी पोषक तत्व प्राप्त हों।
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