देवी सरस्वती के हाथ में वीणा बहुत कुछ दर्शाती हैं। देवी सरस्वती के हाथ में जो वीणा है उसे “ज्ञान वीणा” कहा जाता है। यह ज्ञान, अध्यात्म, धर्म और अन्य सभी भौतिक वस्तुओं से संबंधित है। जब वीणा को बजाया जाता है, उसमें से निकलने वाली धुन चारों ओर फैले अज्ञान के अंधकार का नाश करती हैं।
माना जाता है कि वीणा की गर्दन के भाग में महादेव, इसकी तार में पार्वती, पुल पर लक्ष्मी, सिरे पर विष्णु और अन्य सभी स्थानों पर सरस्वती का वास होता है। वीणा को समस्त सुखों का स्रोत भी माना जाता है।
आपने ध्यान दिया हो तो आपने देखा होगा कि देवी सरस्वती वीणा के ऊपरी भाग को अपने बाएं हाथ से निचले भाग को अपने दाएं हाथ से थामे नजर आती हैं। यह ज्ञान के हर क्षेत्र पर निपुणता के साथ उनके नियंत्रण को दर्शाता है। साथ ही इस वीणा के अंदर सभी देवी-देवता भी विराजते हैं।
वीणा की धुन रचना के मौलिकता को प्रदर्शित करती है। ये ब्रह्मांड में प्राण भरने का कार्य करती है। वीणा की धुन, उसकी तारें जीवन को दर्शाती हैं। इसके स्वर स्त्री स्वर से मेल खाते हैं। वीणा की कंपन दैवीय ज्ञान की ओर इशारा करती हैं। वीणा के बजने पर ये ज्ञान पानी की तरह बहने लगता है।