धर्म डेस्क: हिंदी धर्म एक ऐसा धर्म है। जहां पर करोड़ो देवी-देवता की पूजा की जाती है। यह अपने रीति-रिवाजों औप परंपराओं के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इन्हीं करोड़ो देवी-देवताओं में से एक है देवी सरस्वती। जिन्हें ज्ञान और संगीत की देवी कहा जाता है। अगर कोई इनकी सच्चे मन से पूजा करें तो उसे बुद्धि का साथ ज्ञान की प्राप्ति होती है।
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देवी सरस्वती जो कमल में विराजमान। जिनके हाथों में वीणा साथ ही जिनका वाहन मोर है। अपनी शांति और प्रसन्नचित रहने के कारण सभी से प्रसन्न रहती है। यह बहुत ही जल्दी प्रसन्न भी हो जाती है। यह अपने हाथों में वीणा लिए हुए है, लेकिन कभी आपने सोचा कि यह संगीत की देवी है वीणा के अलावा कोई और वाद्य यंत्र क्यों नहीं लिया।
माता सरस्वती का इस वीणा से क्या संबंध है। हमारे मन में ऐसे ही कई प्रश्न आते है। जिनका जवाब हमें पता नहीं होता है। हिंदू धर्म में वंसत पंचमी का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर विद्याथियों और ऋषियों के लिए ये दिन होता है। इस दिन ये देवी सरस्वती की पूजा विधि-विधान के साथ करते है। आज हम आपको अपनी खबर में बताते है कि आखिर क्यों माता सरस्वती वाद्य यंत्रों में वीणा को ही चुना।
वास्तव में समस्त वाद्य यंत्रों में वीणा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसकी धुनों का संबंध सीधे ईश्वर से स्थापित होता है। ऋषि यज्ञवल्क्य ने इस बारें में कहा था कि वे मनुष्य जिसे वीणा में महारथ हासिल है, उसे बिना प्रयास के मोक्ष की प्राप्ति होती है”।
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