ऐसे रखा जाता है रोजा
सहरी: रोज़े की शुरुआत सहरी से होती है। मुसलमान सूरज निकलने के देढ़ घंटे पहले उठकर कुछ खाते हैं और इसी के साथ रोज़ा शुरु हो जाता है यानी इसके बाद वे शाम तक इफ़्तार के पहले कुछ खा-पी नहीं सकते। सहरी के बाद नमाज़ भी पढ़ी जाती है।
इफ़्तार: शाम को निर्धारित समयानुसार रोज़ा खोला जाता है जिसे इफ़्तार कहते हैं। इफ़्तार के बाद नमाज़ पढ़ी जाती है।
तरावीह: रात को एक निश्चित समय पर तरावीह की नमाज़ अदा की जाती है। ये समय लगभग 9 बजे का होता है। इसके अलावा मस्जिदों में भी क़ुरअ्न पढ़ा जाता है। ये सिलसिला पूरे महीने जारी रहता है। 29 या 30 दिन बाद ईद मनाई जाती है।