नई दिल्ली: हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत की महत्वपूर्ण जगह है। हर साल 24 एकादशियां होती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा है। यह बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है।
इस एकादशी का नाम लक्ष्मी जी के नाम पर होने के कारण इसे रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह एकादशी 7 नवंबर, शनिवार को है। यह दीपावली के चार दिन पहले पड़ती है।
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रमा एकादशी का प्रभाव दूसरी एकादशी से अधिक होता है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सभी पाप नष्ट गो जाते है। यहां तक की इस व्रत के प्रभाव से ब्रह्महत्या जैसे पाप खत्म हो जाते है। रमा एकादशी का व्रत सुहागनों के लिे सौभाग्य और सुख लेकर आता है। जानिए इस व्रत का क्या है महत्व, पूजन विधि और इशकी कथा के बारें में।
पूजन विधि
रमा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे। अपने सभी कामों से निवृत्त स्नान करें और इस व्रत को करने के लिए संकल्प लें। अगर आप निराहार रहना चाहते है तो संकल्प ले । अगर आप एक समय फलाहार लेना चाहते है तो उसी प्रकार संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। आप चाहे तो किसी पंडित को भी बुला सकते है। पूजा करने के बाद भगवान को भोग लगाएं और सभी को प्रसाद को बांट दें। इसके बाद शाम को भी इसी तरह पूजा करें और रात के समय भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के पास बैठकर श्रीमद्भागवत या गीता का पाठ करें।
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