Friday, November 22, 2024
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रक्षा पंचमी 12 को: किसी कारण बहने न बांध पाई हो भाई को राखी, तो आज करें ये काम

शास्त्रों के अनुसार रक्षा पंचमी का पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाए जाने का विधान है। पूर्वकाल में यह पर्व सभी वर्णों के पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रतिपादित था। जानिए पूजा विधि के बारें में..

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 12, 2017 9:34 IST
lord shiva- India TV Hindi
lord shiva

धर्म डेस्क: आज रक्षा पंचमी है। इसे रेखा पंचमी या शांति पंचमी कहकर भी पुकारा जाता है। अगर आप राखी के मौके पर अपनी बहन से राखी नहीं बंधवा पाए थे या बहनें किसी वजह से अपने भाई को राखी नहीं बांध सकीं थीं तो इस दिन बांध सकती है।

शास्त्रों के अनुसार रक्षा पंचमी का पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाए जाने का विधान है। पूर्वकाल में यह पर्व सभी वर्णों के पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रतिपादित था। शास्त्रों में रक्षा पंचमी को रेखा पंचमी और शांति पंचमी कहकर भी संबोधित किया जाता है।

 
शास्त्रों के अनुसार रक्षा पंचमी को भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। इस दिन विधिवत पूजा करने से आपके वंश की भगवान स्वयं रक्षा करते है। शास्त्रों में शास्त्रों में रक्षा पंचमी पर वक्रतुण्ड रुपी हरिद्रा गणेश के पूजन का दूर्वा और सरसों से करने का विधान है।

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आज करें भैरवनाथ की पूजा
शास्त्रों के अनुसार रक्षा पंचमी के दिन भगवान शंकर के पंचम रुद्रावतार भैरवनाथ की पूजा करने का विशेष लाभ मिलता है।  नाथ सम्प्रदाय के लोग इस दिन भैरव के सर्पनाथ स्वरुप के विग्रह का पूजन करते हैं।

शास्त्र पद्धति 'गदाधर' के अनुसार इस दिन घर की दक्षिण पश्चिमी दिशा में कोयले अथवा काले चूर्णों से काले रंगों से सर्पों का चित्र बनाकर उनकी पूजा करने का विधान है। सर्प पूजन करने से सर्प प्रसन्न होते हैं और वंशजों को कोई डर नहीं सताता। इस दिन घर के पिछवाड़े में भगवान शंकर के वाहन नंदी का चित्र बनाकर उनका पूजन किया जाता है तथा गंध आदि से इन्द्राणी की पूजा भी करनी चाहिए।

अगली स्लाइड में पढ़े पूरी पूजा-विधि के बारें में

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