रक्षा पंचमी है | हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी को यानि कि रक्षाबंधन के पांचवें दिन रक्षा पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इसे रेखा पंचमी या शांति पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। रक्षा पंचमी का यह त्योहार मुख्यतः उड़ीसा में मनाया जाता है| मान्यता है कि जो व्यक्ति रक्षाबंधन के दिन रक्षासूत्र बंधवाने में असमर्थ रहे थे, यानि अपनी बहन से राखी नहीं बंधवा पाए थे या बहनें किसी कारणवश अपने भाई को राखी नहीं बांध पाई थीं तो रक्षा पंचमी के दिन वे लोग रक्षासूत्र बंधवा सकते हैं।
भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि-
‘मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव’
अर्थात् ‘सूत्र’ न बिखरने का प्रतीक है क्योंकि सूत्र बिखरे हुए मोतियों को अपने में पिरोकर एक माला के रूप में उन्हें एक करता है और माला के सूत्र की ही तरह रक्षासूत्र भी रिश्तों को जोड़ने का काम करता है।
गीता में ही लिखा गया है कि- जब संसार में नैतिक मूल्यों में कमी आने लगती है, तब ज्योतिर्लिंगम शिव प्रजापति ब्रह्मा द्वारा पृथ्वी पर पवित्र धागे भेजे जाते हैं, जिन्हें मंगलकामना करते हुए लोग एक-दूसरे को बांधते हैं और भगवान उन्हें हर दुःख और संकट से दूर रखते हैं।
रक्षा पंचमी के दिन करें ऐसे पूजा
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार रक्षा पंचमी के दिन दूर्वा और सरसों से गणपति जी के हरिद्रा रूप का पूजन करने का विधान है | साथ ही इस दिन भगवान शंकर के पंचम रुद्रावतार भैरवनाथ की पूजा का भी विशेष महत्व है। नाथ सम्प्रदाय के लोग इस दिन भैरव के सर्पनाथ स्वरुप के विग्रह का पूजन करते हैं।
इस दिन घर की दक्षिण-पश्चिमी दिशा में कोयले से काले रंग के सांपों का चित्र बनाकर, उनकी पूजा करनी चाहिए और घर के पिछले हिस्से में शंकर भगवान के वाहन नंदी का चित्र बनाकर, उनकी भी पूजा की जाती है | आज नित्य कर्मों से निवृत होकर विधिवत हरिद्रा गणेश, सर्पनाथ भैरव और शिव के ताड़केश्वर स्वरुप का पूजन करें | उन्हें धूप, दीप, पुष्प, गंध और नवेद्य अर्पित करें गणेश जी पर दूर्वा, सिंदूर और लड्डू चढ़ाएं, साथ ही भैरव जी पर उड़द, गुड़ और सिंदूर अर्पित करें | इसके बाद ताड़ के पत्ते पर “त्रीं ताड़केश्वर नमः” लिखकर घर की उत्तर दिशा की दिवार पर किसी धागे में टांग दें | इसके साथ ही एक पीले रंग की पोटली में दूर्वा, अक्षत, पीली सरसों, कुशा और हल्दी बांधकर भी टांग दें।
बुध कर रहा है कन्या राशि में प्रवेश, इन 5 राशियों को मिलेगा मेहनत का फल
पूजन के बाद गणेश पूजन के बाद गणेश जी, भैरव और शिव जी की मूर्ति या तस्वीर पर रक्षासूत्र स्पर्श करवाकर घर के सभी सदस्यों को बांधें | इसके बाद बाएं हाथ में काले नमक की डली अथवा उड़द लेकर गोमेदक की माला से एक बार इस मंत्र का जप करें | मंत्र है-
कुरुल्ले हुं फट् स्वाहाः
इस तरह जप पूरा होने के बाद रात को नाग देवता और दस दिगपाल आदि का खीर से पूजन कर, उसे घर के बाहर दक्षिण-पश्चिम दिशा में रख दें, साथ ही घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में थोड़ा-सा काला नमक और उड़द एक पीले रंग के कपड़े में बांधकर छुपाकर रख दें | ऐसा करने से परिवार के लोगों की हर बुरी शक्ति से रक्षा होती है तथा नाग देवता भी खुश होंगे।