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रक्षा पंचमी: जो बहनें रक्षाबंधन को नहीं बांध पाईं राखी तो उनके लिए ये दिन है शुभ, इस मंत्र के साथ बांधे रक्षा कवच

रक्षा पंचमी उड़ीसा में मनाया जाता है। मान्यता है कि यदि रक्षाबंधन के दिन बहन से राखी नहीं बंधवा पाए तो रक्षा पंचमी को रक्षासूत्र बंधवा सकते हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 07, 2020 19:41 IST
रक्षा पंचमी- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/CHAMP_ART_ रक्षा पंचमी

भाद्रपद कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि और शनिवार का दिन है। पंचमी तिथि  सुबह से रविवार की भोर 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी को रक्षाबंधन के पांचवें दिन रक्षा पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। रक्षा पंचमी  उड़ीसा में मनाया जाता है। मान्यता है कि यदि रक्षाबंधन के दिन बहन से राखी नहीं बंधवा पाए तो रक्षा पंचमी को  रक्षासूत्र बंधवा सकते हैं। 

भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि-

'मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव'..

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अर्थात् 'सूत्र' न बिखरने का प्रतीक है क्योंकि सूत्र बिखरे हुए मोतियों को अपने में पिरोकर एक माला के रूप में उन्हें एक करता है और माला के सूत्र की ही तरह रक्षासूत्र भी रिश्तों को जोड़ने का काम करता है। 

गीता में ही लिखा गया है कि- जब संसार में नैतिक मूल्यों में कमी आने लगती है, तब ज्योतिर्लिंगम शिव प्रजापति ब्रह्मा द्वारा पृथ्वी पर पवित्र धागे भेजे जाते हैं, जिन्हें मंगलकामना करते हुए लोग एक-दूसरे को बांधते हैं और भगवान उन्हें हर दुःख और संकट से दूर रखते हैं।

रक्षा पंचमी के दिन ऐसे करें पूजा

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार रक्षा पंचमी के दिन दूर्वा और सरसों से गणपति जी के हरिद्रा रूप , साथ ही  भगवान शंकर के पंचम रुद्रावतार भैरवनाथ की पूजा का भी विशेष महत्व है। नाथ सम्प्रदाय के लोग इस दिन भैरव के सर्पनाथ स्वरुप की पूजन करते हैं। इस दिन घर की दक्षिण-पश्चिमी दिशा में कोयले से काले रंग के सांपों का चित्र बनाकर, और घर के पिछले हिस्से में नंदी का चित्र बनाकर, उनकी भी पूजा की जाती है। 

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नित्य कर्मों से निवृत होकर  हरिद्रा गणेश, सर्पनाथ भैरव और शिव के ताड़केश्वर स्वरुप को  धूप, दीप, पुष्प, गंध और नवेद्य अर्पित करें। गणेश जी पर दूर्वा, सिंदूर और लड्डू  ,  भैरव जी पर उड़द, गुड़ और सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद ताड़ के पत्ते पर "त्रीं ताड़केश्वर नमः" लिखकर घर की उत्तर दिशा की दिवार पर किसी धागे में टांग दें।  एक पीले रंग की पोटली में दूर्वा, अक्षत, पीली सरसों, कुशा और हल्दी बांधकर भी टांग दें।  गणेश जी, भैरव और शिव जी को  रक्षासूत्र स्पर्श करवाकर घर के सभी सदस्यों को बांधें। इसके बाद बाएं हाथ में काले नमक की डली अथवा उड़द लेकर  गोमेदक की माला से एक बार इस मंत्र का जप करें। 

मंत्र है-
कुरुल्ले हुं फट् स्वाहाः

 रात को नाग देवता और दस दिगपाल आदि का खीर से पूजन कर, उसे घर के बाहर दक्षिण-पश्चिम दिशा में रख दें, साथ ही घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में थोड़ा-सा काला नमक और उड़द एक पीले रंग के कपड़े में बांधकर छुपाकर रख दें। ऐसा करने से परिवार के लोगों की हर बुरी शक्ति से रक्षा होती है तथा नाग देवता भी खुश होंगे। 

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