Thursday, November 28, 2024
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पुत्रदा एकादशी 3 को: संतान सुख के लिए इस मुहूर्त के साथ करें पूजा, कथा

पुत्रदा एकादशी व्रत करने स हर पापों से मुक्ति मिलने के साथ-साथ अगर आप संतान सुख चाहते है, तो इससे अच्छा कोई व्रत नहीं होगा। जानिए इस व्रत की पूजा विधि और कथा के बारें में।

Written by: Shivani Singh @lastshivani
Published : August 02, 2017 13:26 IST
PUTRA EKADASHI- India TV Hindi
PUTRA EKADASHI

धर्म डेस्क: हिंदू पंचाग के अनुसार पुत्रदा एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत अधिक मान्यता है।  पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। एक बार पौष माह में और दूसरी सावन में। सावन मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ये एकादशी गुरुवार, 3 अगस्त को है। (एक क्लिक में जानिए रक्षाबंधन, तीज, नागपंचमी सहित अगस्त माह के सभी व्रत-त्योहारों के बारें में)

पुत्रदा एकादशी व्रत करने स हर पापों से मुक्ति मिलने के साथ-साथ अगर आप संतान सुख चाहते है, तो इससे अच्छा कोई व्रत नहीं होगा। जानिए इस व्रत की पूजा विधि और कथा के बारें में। (बिजनेस में हो रहा है लगातार घाटा, तो अपनाएं ये वास्तु उपाय)

व्रत की विधि

पुत्रदा एकादशी व्रत करने वालों को एकादशी से एक दिन पहले दशमी से ही नियमों का पालन शुरू कर देना चाहिए। ऐसा करने से व्रत सफल माना जाता है। दशमी के दिन सुर्यास्त से पहले तक खाना खा लें. सू्र्यास्त के बाद भोजन न करें। दशमी के दिन नहाने के बाद बिना प्याज-लहसून से बना खाना खाएं। एकादशी के दिन स्नान करके व्रत का संकल्प लें। प्रसाद, धूप, दीप आदि से पूजा करें और पुत्रदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। दिन भर निराहार व्रत रखें और रात में फलाहारी करें। द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर उसके बाद स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दें उसके बाद पारण करें।

पुत्रदा एकादशी मनानें के पीछे की पौराणिक कथा
इस पौराणिक कथा के बारे में महाराज युधिष्ठर के पूछने में कृष्ण भगवान नें बताया कि इस व्रत की शुरुआत महीजित नामक राजा से हुई जो पुत्र न होने की जगह से परेशान था। महीजित एक प्रतापी राजा था। वह अपनी प्रजा को पुत्र के समान मानता था। राजा सभी अपराधियों को दंड देने में पीछे नही हटता था जिसके कारण उससे प्रजा बहुत ही खुश थी, लेकिन एक वजह के कारण महाराज हमेशा दुखी रहते थें। उनका दुख के कारण था उनके बाद उनके राज्य का कोई उत्तराधिकारी न होना। इसी कारण एक दिन राजा नें प्रजा से कहा कि मैने आज तक कोई बुरा काम नही किया न ही गलत तरीके से कभी धन कमाया फिर भी हमें एक पुत्र की प्राप्ति नही हुई। ऐसा क्यों है। इस बात में प्रजा बोली कि इस जन्म में तो आपने अच्छें कर्म किया शायद अगले जन्म में आपने गलत काम किया जिसकी वजह सें आपको इस जन्म में पुत्र की प्राप्ति नही हुई। इस बारें में जानने के लिए हमें वन में चल कर महर्षि लोमश से बात करनी चाहिए।

अगली स्लाइड में पढ़े पुत्रदा एकादशी की पूरी कथा

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