हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन व्रत रख कर श्री विष्णु के सत्यनरायण स्वरुप की पूजा-अर्चना कर कथा का पाठ करने से मनचाही इच्छाओं की पूर्ति होती है। पौष पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, फाल्गुन पूर्णिमा और श्रावण पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से साल 2021 में पड़ने वाली पूर्णिमा के बारे में।
माघी पूर्णिमा
साल की दूसरी पूर्णिमा 27 फरवरी, दिन शनिवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि 26 फरवरी की दोपहर 3 बजकर 51 मिनट से 27 तारीख की दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। लिहाजा व्रतादि की पूर्णिमा 26 फरवरी को और स्नान दान की पूर्णिमा 27 फरवरी को होगी। कहते हैं कि- माघी पूर्णिमा के दिन स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। माघी पूर्णिमा पर दान-दक्षिणा का बत्तीस गुना फल मिलता है। इसलिए इसे 'बत्तिसी पूर्णिमा' भी कहते हैं।
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फाल्गुन पूर्णिमा
फाल्गुन महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा की तो यह पूर्णिमा 28 मार्च दिन, रविवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि भोर 3 बजकर 27 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। फाल्गुनी पूर्णिमा सनातन संवत का अंतिम दिन भी होती है। इसके अगले दिन से सनातन नव वर्ष प्रारम्भ हो जाता है। फागुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
चैत्र पूर्णिमा
चैत्र महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा की तो इस साल चैत्र महीने की पूर्णिमा 26 अप्रैल, दिन सोमवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि 26 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से 27 अप्रैल की सुबह 9 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। लिहाजा व्रतादि की पूर्णिमा 26 अप्रैल को और स्नान-दान की पूर्णिमा 27 अप्रैल को मनायी जाएगी। इस दिन भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार श्री हनुमान जी का जन्म हुआ था। वैसे मतांतर से चैत्र पूर्णिमा के अलावा कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भी हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है।
वैशाख पूर्णिमा
वैशाख महीने की पूर्णिमा इस साल 26 मई, दिन बुधवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि 25 मई की रात 8 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर 26 मई की शाम 4 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। वैशाख पूर्णिमा के दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में और चांद भी अपनी उच्च राशि तुला में होता है। बैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान विष्णु के नौवें अवतार महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि बैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करके दान पुण्य करने से कुंभ में स्नान के समान पुण्य प्राप्त होता है।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा
ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा इस बार 24 जून, दिन गुरुवार को पड़ेगी। इस दिन पूर्णिमा तिथि भोर 3 बजकर 33 मिनट से देर रात 12 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को देव स्नान पूर्णिमा भी कहा जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार इस दिन तीर्थ स्नान, दान और व्रत करने से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत कर पति की लंबी आयु के लिये वट, यानि बरगद के पेड़ की उपासना करती है। इसके आलावा इस दिन बिल्व पत्रों से उमा-महेश्वर, यानि भगवान शंकर की पूजा की जाती है।
आषाढ़ पूर्णिमा
इस साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा 24 जुलाई, दिन शनिवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि 23 जुलाई की सुबह 10 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 24 जुलाई की सुबह 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगी। बता दूं कि- इस दिन पूर्ण चंद्रमा 23 जुलाई को दिखेगा। लिहाजा व्रतादि की पूर्णिमा 23 जुलाई को और उदया तिथि में पूर्णिमा 24 जुलाई को पड़ रही है। लिहाजा स्नान-दान की पूर्णिमा 24 जुलाई को मनायी जाएगी। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं गुरु पूर्णिमा से लेकर अगले चार महीने अध्ययन के लिये बड़े ही उपयुक्त माने जाते हैं। साधु-संत भी इस दौरान एक स्थान पर रहकर ध्यान लगाते हैं।
श्रावण पूर्णिमा
श्रावण महीने की पूर्णिमा 22 अगस्त दिन, रविवार को पड़ रही है। बता दूं कि- इस दिन पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त की शाम 7 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 22 अगस्त की शाम 5 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। श्रावणी पूर्णिमा का दिन दान, पुण्य के साथ गोदान करने से जीवन में चल रही समस्त समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व भी मनाया जाता है ।
भाद्रपद पूर्णिमा
इस साल भाद्रपद महीने की पूर्णिमा 20 सितम्बर, दिन सोमवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 5 बजकर 29 मिनट से अगले दिन की सुबह 5 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। भाद्रपद महीने की पूर्णिमा को व्रत और स्नान-दान करने से समस्त कष्टों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। बता दूं कि- भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से सोलह दिवसीय श्राद्ध प्रारंभ होते हैं। साथ ही महिलाएं इस दिन उमा महेश्वर का व्रत कर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना भी करती है।
अश्विनी पूर्णिमा
इस साल अश्विनी महीने की पूर्णिमा 20 अक्टूबर, दिन बुधवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि 19 सितम्बर की शाम 7 बजकर 4 मिनट से लेकर 20 सितम्बर की रात 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। अश्विनी पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन कोजागर व्रत के साथ लक्ष्मी कुबेर की पूजा भी की जाती है। इस दिन के बाद से ही कार्तिक मास के स्नान-दान व्रत नियम आदि प्रारम्भ होते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा
इस साल कार्तिक मास की पूर्णिमा 19 नवम्बर, दिन शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि 18 नवम्बर की दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 19 नवम्बर की दोपहर 2 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। लिहाजा व्रतादि की पूर्णिमा 18 नवम्बर को और स्नान दान की पूर्णिमा 19 नवम्बर को मनायी जाएगी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया गया दान-पुण्य अक्षय फलों की प्राप्ति कराता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन ब्राह्मण के साथ ही अपनी बहन, बहन भानजे, बुआ के बेटे, मामा को भी दान स्वरूप कुछ न कुछ दान देने से धन-सम्पदा में हमेशा बरकत ही बरकत होती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा
इस साल मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा 19 दिसम्बर, दिन रविवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि 18 दिसम्बर की सुबह 7 बजकर 25 मिनट से लेकर 19 दिसम्बर की सुबह 10 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। मार्गशीर्ष माह की इस पूर्णिमा को अगहन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मार्गशीर्ष मास के बारे में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि- 'मासानां मार्गशीर्षोऽयम्' अर्थात् मासों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इस दिन गंगा आदि पवित्र तीर्थ स्थलों पर स्नान दान करने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।