Wednesday, November 06, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. आज बुध प्रदोष व्रत, महादेव को प्रसन्न करने के लिए शिव योग में ऐसे करें पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

आज बुध प्रदोष व्रत, महादेव को प्रसन्न करने के लिए शिव योग में ऐसे करें पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष को बुध प्रदोष के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि बुध प्रदोष का व्रत करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: March 10, 2021 6:44 IST
आज बुध प्रदोष व्रत, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव योग में ऐसे करें पूजा, जानिए सुभ मुहूर्त और- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/KOYASINCENSE आज बुध प्रदोष व्रत, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव योग में ऐसे करें पूजा, जानिए सुभ मुहूर्त और व्रत कथा

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की उदया तिथि द्वादशी और दिन बुधवार है | द्वादशी तिथि दोपहर 2 बजकर 41 मिनट रहेगी | उसके बाद त्रयोदशी तिथि लग जाएगी, जो गुरुवार दोपहर 2 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार प्रत्येक महीने की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित प्रदोष व्रत किया जाता है |  सप्ताह के सातों दिनों में से जिस दिन प्रदोष व्रत पड़ता है, उसी के नाम पर उस प्रदोष का नाम रखा जाता है | जैसे सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष और मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहा जाता है | वैसे ही आज बुधवार का दिन है और बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष को बुध प्रदोष के नाम से जाना जाता है | कहा जाता है कि- बुध प्रदोष का व्रत करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है | 

प्रत्येक प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है | प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत और धूप-दीप आदि से पूजा की जाती है | फिर शाम के समय प्रदोष काल में पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए | इस प्रकार जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा करता है उसपर शिव जी की कृपा बनी रहती है और उसे सभी सुख-साधनों की प्राप्ति होती है।

राशिफल 10 मार्च: वृष राशि के जातकों को उधार दिया हुआ पैसा मिलेगा वापस, वहीं ये लोग रहें सतर्क

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से

त्रयोदशी तिथि समाप्त- 11 मार्च  दोपहर 2 बजकर 40 मिनट तक

प्रदोष व्रत में शिव योग
सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक परिघ योग रहेगा | उसके बाद शिव योग लग जायेगा | शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं | साथ ही आज रात 9 बजकर 3 मिनट तक श्रवण नक्षत्र रहेगा। 

Mahashivratri 2021: महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग में जरूर चढ़ाएं बेलपत्र सहित ये चीजें, भगवान शिव होंगे प्रसन्न

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य भगवान को अर्ध्य दें और बाद में शिव जी की उपासना करनी चाहिए। आज के दिन भगवान शिव को बेल पत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग आदि चढ़ाने के बाद शिव मंत्र का जाप, शिव चालीसा करना चाहिए। ऐसा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति के साथ ही कर्ज की मुक्ति से जुड़े प्रयास सफल रहते हैं। सुबह पूजा आदि के बाद संध्या में, यानी प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा संपन्न कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें। इसके बाद भोजन करें।  इस प्रकार जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा आदि करता है और प्रदोष का व्रत करता है, वह सभी पापकर्मों से मुक्त होकर पुण्य को प्राप्त करता है और उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।

बुध प्रदोष व्रत कथा

बहुत समय पहले एक नगर में एक बेहद गरीब पुजारी रहता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी। एक दिन उसकी मुलाकात विदर्भ देश के राजकुमार से हुई, जो कि अपने पिता की मृत्यु के बाद दर-दर भटकने लगा था। उसकी यह हालत पुजारी की पत्नी से देखी नहीं गई, वह उस राजकुमार को अपने साथ अपने घर ले आई और पुत्र जैसा रखने लगी।  एक दिन पुजारी की पत्नी अपने साथ दोनों पुत्रों को शांडिल्य ऋषि के आश्रम ले गई। वहां उसने ऋषि से शिवजी के प्रदोष व्रत की कथा एवं विधि सुनी तथा घर जाकर अब वह भी प्रदोष व्रत करने लगी।

महाशिवरात्रि के दिन बुध कर रहा है राशिपरिवर्तन, वृष सहित इन 5 राशियों को होगा अपार धनलाभ

एक बार दोनों बालक वन में घूम रहे थे। उनमें से पुजारी का बेटा तो घर लौट गया, परंतु राजकुमार वन में ही रह गया। उस राजकुमार ने गंधर्व कन्याओं को क्रीड़ा करते हुए देखा तो उनसे बात करने लगा। उस कन्या का नाम अंशुमती था। उस दिन वह राजकुमार घर देरी से लौटा। राजकुमार दूसरे दिन फिर से उसी जगह पहुंचा, जहां अंशुमती अपने माता-पिता से बात कर रही थी। तभी अंशुमती के माता-पिता ने उस राजकुमार को पहचान लिया तथा उससे कहा कि आप तो विदर्भ नगर के राजकुमार हो ना, आपका नाम धर्मगुप्त है।

अंशुमती के माता-पिता को वह राजकुमार पसंद आया और उन्होंने कहा कि शिवजी की कृपा से हम अपनी पुत्री का विवाह आपसे करना चाहते है, क्या आप इस विवाह के लिए तैयार हैं?

राजकुमार ने अपनी स्वीकृति दे दी तो उन दोनों का विवाह संपन्न हुआ। बाद में राजकुमार ने गंधर्व की विशाल सेना के साथ विदर्भ पर हमला किया और घमासान युद्ध कर विजय प्राप्त की तथा पत्नी के साथ राज्य करने लगा। वहां उस महल में वह पुजारी की पत्नी और पुत्र को आदर के साथ ले आया तथा साथ रखने लगा। पुजारी की पत्नी तथा पुत्र के सभी दुःख व दरिद्रता दूर हो गई और वे सुख से अपना जीवन व्यतीत करने लगे। एक दिन अंशुमती ने राजकुमार से इन सभी बातों के पीछे का कारण और रहस्य पूछा, तब राजकुमार ने अंशुमती को अपने जीवन की पूरी बात बताई और साथ ही प्रदोष व्रत का महत्व और व्रत से प्राप्त फल से भी अवगत कराया।

उसी दिन से प्रदोष व्रत की प्रतिष्ठा व महत्व बढ़ गया तथा मान्यतानुसार लोग यह व्रत करने लगे। कई जगहों पर अपनी श्रद्धा के अनुसार स्त्री-पुरुष दोनों ही यह व्रत करते हैं। इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी कष्ट और पाप नष्ट होते हैं एवं मनुष्य को अभीष्ट की प्राप्ति होती है।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement