धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। पौष मास मास की कृष्ण पक्ष को प्रदोष पड़ रहा है। इस व्रत में भगवान शिव जी की पूजा की जाती है। इस बार प्रदोष व्रत 2 जून, गुरूवार को है। जो कि गुरू प्रदोष व्रत है।
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सूतजी के अनुसार गुरू प्रदोष व्रत का पालन करने वाले सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। अगर आप व्रत रख रहे है तो किसी योग पंडित से पूजा कराएं। जोकि बहुत ही महान काम है।
पुराणों के अनुसार माना जात है कि इस अवधि के बीच भगवान शिव कैलाश पर्वत में प्रसन्न होकर नृत्य करते है। इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जानिए इसकी पूजा विधि, कथा और महत्व के बारें में।
प्रदोष व्रत का महत्व
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि प्रदोष व्रत को रखने से आपको दो गायों को दान देने के समान पुण्य मिलता है। इस दिन व्रत रखने और शिव की आराधना करने पर भगवान की कृपा आप पर हमेशा रहती है। जिससे आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत करने से आप और आपका परिवार हमेशा आरोग्य रहता है। साथ ही आप की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
गुरु प्रदोष व्रत शत्रुओं के विनाश के लिए किया जाता है। गुरुवार के दिन होने वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति के लिए के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला होता है। जिनको संतान प्राप्ति की कामना हो, उन्हें शनिवार के दिन पडने वाला प्रदोष व्रत करना चाहिए। इससे आपको अच्छा फल प्राप्त होगा।
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