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PM मोदी ने 5 हजार साल पुराने गुरुवायुरप्पन मंदिर में की पूजा, जहां सिर्फ हिंदू धर्म के लोग करते हैं प्रवेश

पीएम मोदी केरल के प्रसिद्ध गुरुवयूर मंदिर में दर्शन के लिए जाएंगे। जहां पर पीएम मोदी थुलाभारम रस्म भी अदा की। जहां इस मंदिर के बारें में सबकुछ

Written by: Shivani Singh @lastshivani
Updated on: June 08, 2019 11:12 IST
PM MODI, KERALA, - India TV Hindi
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धर्म डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचंड बहुमत से लोकसभा चुनाव में सफलता हासिल की है और इसके बाद सरकार अब एक्शन मोड में है। बिजी शेड्यूल के बावजूद आज पीएम मोदी केरल के प्रसिद्ध गुरुवयूर मंदिर में दर्शन के लिए जाएंगे। जहां पर पीएम मोदी थुलाभारम रस्‍म भी अदा की। जिसमें उन्हें 112 किलो कमल के फूलों से तोला गया।  पूजा के बाद पीएम केरल से ही मालदीव और श्रीलंका के लिए रवाना हो जाएंगे।  

गुरुवायुरप्पन मंदिर बहुत ही खास मंदिर है। इसे दक्षिण की द्वारिका के नाम से भी जाना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण इस मंदिर में विराजमान हैं। पौराणिक मान्यता के मुताबिक, मंदिर का निर्माण वृहस्पति ने किया था। मंदिर 5000 साल पुराना है और 1638 में इसके कुछ हिस्से का पुनर्निमाण किया गया था। खास बात ये है कि इस मंदिर में हिंदुओं के अलावा दूसरे धर्मों के लोग प्रवेश नहीं कर सकते हैं।  

गुरुवायुरप्पन मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान कृष्ण की मूर्ति के चार हाथ हैं। भगवान ने एक हाथ में शंख और दूसरे में सुदर्शन चक्र है। जबकि भगवान ने तीसरे और चौथे में कमल धारण कर रखा है।

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शास्त्रीय कर्नाटकीय संगीत का है प्रमुख स्थल

गुरुवायुर दक्षिण भारतीय शास्त्रीय कर्नाटकीय संगीत का एक प्रमुख स्थल है, विशेषकर यहां के शुभ एकादसी दिवस के दौरान जोकि सुविख्यात गायक चेम्बाई वैद्यनाथ भगावतार की स्मृति में मनाया जाता है, यह भी गुरुवायुरप्पन के दृढ़ भक्त थे। मंदिर वार्षिक समारोह (उल्सवम) भी मनाता है जो कुम्भ के मलयाली महीने (फरवरी-मार्च) में पड़ता है इसके दौरान यह शास्त्रीय नृत्य जैसे कथकली, कूडियट्टम, पंचवाद्यम, थायाम्बका और पंचारिमेलम आदि का आयोजन करता है। इस स्थान ने कई प्रसिद्ध थाप वाले वाद्यों जैसे चेन्दा, मद्दलम, तिमिला, इलाथलम और इडक्का आदि के वादकों को जन्म दिया है।

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गुरुवायुर मंदिर में आकर्षण का केंद्र
न्य आकर्षणों में मंदिर के पास एक प्रसिद्ध गज अभयारण्य (पुन्नाथुर कोट्टा) है जहां मंदिर के कार्यों हेतु विशाल हाथियों को प्रशिक्षित किया जाता है। वर्तमान में इस अभयारण्य में 60 से भी अधिक हाथी हैं, यह सभी भगवान गुरुवायुर के भक्तों द्वारा समर्पित हैं। मंदिर से जुड़े प्रमुख हाथियों में से एक अग्रणी हाथी का नाम गुरुवायुर केसवन है जो एक सुविख्यात हाथी था। इसे मंदिर के पौराणिक साहित्य में स्थान दिया गया है।

यह मंदिर केरल में हिन्दू विवाहों का प्रमुख स्थल है। मंदिर में प्रतिदिन अत्यधिक संख्या में विवाह होते हैं- कभी-कभी एक ही दिन में 100 से भी अधिक. भगवान गुरुवायुरप्पन के भक्त यह मानते हैं कि भगवान के सामने वैवाहिक जीवन शुरू करना अत्यंत शुभ है।

यदि आप गुरुयावूर मंदिर देखने आये हैं तो पास ही स्थित माम्मियूर के शिव मंदिर के दर्शन के बिना इसका भ्रमण अधूरा है। यदि आपके पास एक अतिरिक्त दिन का समय है तो और भी कई मंदिर देखने योग्य हैं। आप भगवान वडक्कनाथन के दर्शन के लिए थ्रिसुर (या त्रिचूर) जा सकते हैं। प्रसिद्ध थ्रिसुर पूरम, इसी मंदिर के पास स्वराज घेरे में आयोजित होता है। पास ही में आप परमेलकावु (भगवती) मंदिर और थुरुवाम्पादी कृष्ण मंदिर के भी दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद कूदाल्मानिक्यम मंदिर में संगमेश्वरर के दर्शन के लिए इरिन्जलाक्कुडा जा सकते हैं (यहां से पेरुवानाम (भगवान शिव) और फिर थ्रिप्रयर (भगवान राम) जाया जा सकता है। इसके बाद वापस गुरुवायुर.

श्री कृष्ण चेतना अंतर्राष्ट्रीय संस्थान (ISKCON) ने हाल ही में यहां एक केंद्र और नगर आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक अतिथि भवन की शुरुआत की है। यहां कई होटल, सराय, रेस्तरां और विवाह हाल हैं और यह फलता-फूलता बाज़ार केंद्र है।

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