भाद्रपद शुक्ल पक्ष की उदया तिथि पूर्णिमा और दिन बुधवार है। पूर्णिमा तिथि आज सुबह 10 बजकर 52 मिनट तक रहेगी उसके बाद उसके बाद आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जायेगी, जो कि अगले दिन दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। आपको बता दूँ जब पूर्णिमा दो दिनों की होती है तो पहले दिन व्रत और दूसरे दिन स्नान-दान किया जाता है। कल से श्राद्ध भी शुरू हो चुके हैं । कल पूर्णिमा तिथि वालों का श्राद्ध कार्य किया गया था, जबकि आज के दिन प्रतिपदा तिथि वालों का श्राद्ध किया जायेगा। जिन लोगों का स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ हो, उन लोगों का श्राद्ध आज के दिन किया जायेगा।
जिन लोगों को अपने पितरों की तिथि याद न हो, वे लोग पितृपक्ष की अमावस्या को श्राद्ध-कर्म कर सकते हैं। इस तरह श्राद्ध करने से आपको विशेष फल तो प्राप्त होंगे ही, साथ ही आपको पितृदोष से भी छुटकारा मिलेगा।
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दरअसल शास्त्रों में पितृदोष को सबसे बड़ा दोष माना गया है । कुण्डली का नौंवा घर धर्म और पिता का होता है । यदि इस घर में राहु, केतु और मंगल अपनी नीच राशि में बैठे हैं, तो यह आपकी कुंडली में पितृदोष होने का संकेत है । पितृदोष के कारण मानसिक पीड़ा, अशांति, धन की हानि, गृह-क्लेश जैसी परेशानियां होती है। पिण्डदान और श्राद्ध नहीं करने वालों के साथ-साथ पितृदोष उनकी संतान की कुण्डली में भी बनता है और अगले जन्म में वह भी पितृदोष से पीड़ित होता है, लेकिन श्राद्ध कार्य करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही आपका भाग्योदय होता है।
आज दोपहर 1 बजकर 3 मिनट तक सुकर्मा योग रहेगा। इस योग में कोई शुभ कार्य करना चाहिए। मान्यता अनुसार इस योग में नई नौकरी ज्वाइन करें या घर में कोई धार्मिक कार्य का आयोजन करें। इसके अलावा आज शाम 6 बजकर 34 मिनट से कल सूर्योदय तक कुमार योग भी रहेगा। कुमार योग सबके साथ दोस्ती का रिश्ता स्थापित करने और विद्या प्राप्ति में भी सहायक है। साथ ही आज शाम 6 बजकर 34 मिनट तक शतभिषा नक्षत्र रहेगा। शतभिषा 24वां नक्षत्र है। इसका अर्थ होता है - सौ चिकित्सक। कदंब के पेड़ से शतभिषा नक्षत्र का संबंध बताया गया है। इस नक्षत्र के जातकों को आज के दिन कदंब के पेड़ की उपासना करनी चाहिए। साथ ही कदंब के पेड़, उसकी लकड़ी या उससे जुड़ी किसी भी अन्य चीज़ को आज के दिन नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
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गरूड़ पुराण के अनुसार श्राद्ध के सोलह दिनों के दौरान कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा और मूल नक्षत्र में श्राद्ध करना शुभ फलदायी माना गया है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से इन फलों के बारे में।
विभिन्न नक्षत्रों में श्राद्ध करने से क्या फल मिलेंगे
- कृतिका नक्षत्र में श्राद्ध करने से समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- रोहिणी नक्षत्र में श्राद्ध करने से अच्छी संतान की प्राप्ति होती है।
- मृगशिरा नक्षत्र में श्राद्ध करने से अच्छे गुणों का विकास होता है।
- आर्द्रा नक्षत्र में श्राद्ध करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- पुनर्वसु नक्षत्र में श्राद्ध करने से तन और मन की सुंदरता प्राप्त होती है।
- पुष्य नक्षत्र में श्राद्ध करने से लंबी आयु की प्राप्ति होती है।
- मघा नक्षत्र में श्राद्ध करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
- पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में श्राद्ध करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- हस्त नक्षत्र में श्राद्ध करने से श्रेष्ठ विद्या का गुण मिलता है।
- चित्रा नक्षत्र में श्राद्ध करने से संतान को प्रसिद्धि मिलती है।
- स्वाति नक्षत्र में श्राद्ध करने से बिजनेस में लाभ होता है।
- विशाखा नक्षत्र में श्राद्ध करने से वंश वृद्धि होती है।
- अनुराधा नक्षत्र में श्राद्ध करने से उच्च अधिकारों का दायित्व मिलता है।
- मूल नक्षत्र में श्राद्ध करने से निरोगी काया प्राप्त होती है
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इस बार श्राद्ध के दौरान इनमें से कौन-कौन से नक्षत्र पड़ रहे हैं और किस तारीख को पड़ रहे हैं। जानें आचार्य इंदु प्रकाश से इनके बारे में।
- कृतिका नक्षत्र 8 सितम्बर
- रोहिणी नक्षत्र 10 सितम्बर
- मृगशिरा नक्षत्र 11 सितम्बर
- आर्द्रा नक्षत्र 12 सितम्बर
- पुनर्वसु नक्षत्र 13 सितम्बर
- पुष्य नक्षत्र 14 सितम्बर
- मघा नक्षत्र 16 सितम्बर
- पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र 17 सितम्बर को पड़ रहा है।
इन नक्षत्रों के दौरान आप श्राद्ध करके लाभ पा सकते हैं।
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आप को बता दें इन विभिन्न नक्षत्रों में श्राद्ध के साथ ही उस नक्षत्र से संबंधित पेड़-पौधे को भी लगाने से शुभ फलों में बढ़ोतरी होती है। तो आपको उन विशेष नक्षत्रों में श्राद्ध करने और पेड़ लगाने से मिलने वाले शुभ फलों के बारे में भी बतायेंगे
कृतिका नक्षत्र के बारे में-
कृतिका नक्षत्र 8 सितम्बर को सुबह 8:26 से अगले दिन दोपहर पहले 11:15 तक रहेगा। इसका संबंध गूलर के पेड़ से है। अतः 8 सितम्बर को कृतिका नक्षत्र के दौरान गूलर का पेड़ लगाने से और उसकी देखभाल करने से इच्छायें पूरी होगी। आप जो भी चाहेंगे, वो आपको जरूर मिलेगा।
रोहिणी नक्षत्र
10 सितम्बर को दोपहर 1:39 तक रहेगा। इसका संबंध जामुन के पेड़ से है। अतः 10 सितम्बर को रोहिणी नक्षत्र के दौरान जामुन का पेड़ लगाने से और उसकी देखभाल करने से आपकी संतान की प्रगति होगी ।
मृगशिरा नक्षत्र
11 सितम्बर को दोपहर बाद 3:25 तक रहेगा। इसका संबंध खैर के पेड़ से है। अतः 11 सितम्बर को मृगशिरा नक्षत्र के दौरान खैर का पेड़ लगाने से और उसकी देखभाल करने से आप गुणवान बनेंगे ।
आर्द्रा नक्षत्र
12 सितम्बर को शाम 4:25 तक रहेगा। इसका संबंध शीशम के पेड़ से है। अतः 12 सितम्बर को आर्द्रा नक्षत्र के दौरान शीशम का पेड़ लगाने से और उसकी देखभाल करने से आपका ऐश्वर्य बढेगा ।
पुनर्वसु नक्षत्र
13 सितम्बर को शाम 4:34 तक रहेगा। इसका संबंध बांस के पेड़ से है। अतः 13 सितम्बर को पुनर्वसु नक्षत्र के दौरान बांस का पेड़ लगाने से और उसकी देखभाल करने से आपको तन और मन की सुंदरता हांसिल होगी।
पुष्य नक्षत्र
14 सितम्बर को दोपहर बाद 3:52 तक रहेगा। इसका संबंध पीपल के पेड़ से है। अतः 14 सितम्बर को पुष्य नक्षत्र के दौरान पीपल का पेड़ लगाने से और उसकी देखभाल करने से आपको लंबी आयु की प्राप्ति होगी।
मघा नक्षत्र
16 सितम्बर को दोपहर 12:21 तक रहेगा। इसका संबंध बरगद के पेड़ से है। अतः 16 सितम्बर को मघा नक्षत्र के दौरान बरगद का पेड़ लगाने से और उसकी देखभाल करने से आप सेहतमंद रहेंगे |
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र
17 सितम्बर को सुबह 8:45 तक रहेगा। इसका संबंध ढाक के पेड़ से है। अतः 17 सितम्बर को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के दौरान ढाक का पेड़ लगाने से और उसकी देखभाल करने से आपका सुख और सौभाग्य बढेगा ।