पितृपक्ष की शुरूआत हो चुकी है। 13 सितंबर को पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध किया गया था, जबकि आज उन लोगों का श्राद्ध किया जाएगा जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को हुआ हो। जानें आचार्य इंदु प्रकाश से पितृदोष के बारे में।
पितृदोष को सबसे बड़ा दोष माना गया है । कुण्डली का नौंवा घर धर्म का होता है । ये घर पिता का भी माना गया है । यदि इस घर में राहु, केतु और मंगल अपनी नीच राशि में बैठे हैं, तो ये इस बात का संकेत है कि आपकी कुंडली में पितृदोष है। पितृदोष के कारण जातक को मानसिक पीड़ा, घर परिवार में अशांति, धन संबंधी परेशानी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
Pitru Paksha 2019: आज से पितृ पक्ष शुरू, जानें श्राद्ध की तिथियां और महत्व
वहीं पिण्डदान और श्राद्ध नहीं करने वालों के साथ-साथ पितृदोष का योग उनकी संतान की कुण्डली में भी बनता है और अगले जन्म में वह भी पितृदोष से पीड़ित रहता है, लेकिन श्राद्ध आदि कार्य करने से इस दोष से मुक्ति मिलती है। पितृ दोष से मुक्ति के बाद ही जातक का भाग्योदय होता है। सुख, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।