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Pitri Paksha 2020: 1 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष, जानें इसका महत्व और इसके पीछे की कथा

जानें कब से शुरू हो रहे हैं पितृ पक्ष, क्या है इसका महत्व और पितृ तर्पण करने की विधि क्या है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : August 26, 2020 11:44 IST
Pitri Paksha
Image Source : INSTAGRAM/BHAKTIMARGA Pitri Paksha

पितृ पक्ष 1 सितंबर से शुरू हो रहा है। इस बार ये पितृ पक्ष 17 दिन तक रहेगा। पितृ पक्ष पितृदोष दूर करने और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर पितरों का किसी कारणवश श्राद्ध नहीं कर पाते तो उनकी आत्मा को शांति नहीं मिल पाती। जिस वजह से वो इस लोक में भटकते रहते हैं। इसकी वजह से परिवार से जुड़े व्यक्तियों को भी कष्टों का सामना करना पड़ता है। इसी वजह से पितृ तर्पण का बहुत महत्व है। जानें कब से शुरू हो रहे हैं पितृ पक्ष, क्या है इसका महत्व और पितृ तर्पण करने की विधि क्या है।

पितृ पक्ष शुरू होने और समापन की तारीख

पितृ पक्ष शुरू होने की तारीख: 1 सितंबर

पितृ पक्ष समापन: 17 सितंबर 

पितृ पक्ष का महत्व 
पितृ पक्ष में जो हम दान पूर्वजों को देते है वो श्राद्ध कहलाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि जिनका देहांत हो चुका है वे सभी इन दिनों में अपने सूक्ष्म रुप के साथ धरती पर आते हैं और अपने परिजनों का तर्पण स्वीकार करते हैं। श्राद्ध के बारे में हरवंश पुराण में बताया गया है कि भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि श्राद्ध करने वाला व्यक्ति दोनों लोकों में सुख प्राप्त करता है। श्राद्ध से प्रसन्न होकर पितर धर्म को चाहने वालों को धर्म, संतान को चाहने वाले को संतान, कल्याण चाहने वाले को कल्याण जैसे इच्छानुसार वरदान देते है।

किसे करना चाहिए श्राद्ध
वैसे तो श्राद्ध का अधिकार पुत्र को प्राप्त है, लेकिन अगर पुत्र नहीं है तो पौत्र, प्रपौत्र या फिर विधवा पत्नी भी श्राद्ध कर सकती है। वहीं पत्नी का श्राद्ध पुत्र के ना होने पर पति कर सकता है। 

क्या है पितृ पक्ष की पौराणिक कथा
कहा जाता है कि जब महाभारत के युद्ध में कर्ण का निधन हो गया था और उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंच गई, तो उन्हें रोजाना खाने की बजाय खाने के लिए सोना और गहने दिए गए। इस बात से निराश होकर कर्ण की आत्मा ने इंद्र देव से इसका कारण पूछा। तब इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने पूरे जीवन में सोने के आभूषणों को दूसरों को दान किया लेकिन कभी भी अपने पूर्वजों को नहीं दिया। तब कर्ण ने उत्तर दिया कि वह अपने पूर्वजों के बारे में नहीं जानता है और उसे सुनने के बाद, भगवान इंद्र ने उसे 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर वापस जाने की अनुमति दी ताकि वह अपने पूर्वजों को भोजन दान कर सके। तब से इसी 15 दिन की अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है।

 

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