Thursday, November 14, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. Putrada Ekadashi 2021: आज है पौष पुत्रदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र, पूजा विधि और व्रत कथा

Putrada Ekadashi 2021: आज है पौष पुत्रदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र, पूजा विधि और व्रत कथा

पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी व्रत करने का विधान है यानि आज पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जायेग। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा।

Written by: India TV Entertainment Desk
Updated on: January 24, 2021 8:13 IST
Putrada Ekadashi 2021: जानिए कब है पौष पुत्रदा एकादशी, साथ ही जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र, पूजा विधि और- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/DJWING01 Putrada Ekadashi 2021: जानिए कब है पौष पुत्रदा एकादशी, साथ ही जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र, पूजा विधि और व्रत कथा

पौष मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का काफी अधिक महत्व होता है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी व्रत करने का विधान है यानि आज पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जायेगा | इसे पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार पौष एकादशी 24 जनवरी को पड़ रही है।

पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार  एकादशी तिथि 23 जनवरी रात 8 बजकर 58 से शुरू होकर 24 जनवरी रात 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगी।

Vastu Tips: चुटकी भर नमक कर सकता है बहुत-सी समस्याओं को हल, दरिद्रता दूर करने के लिए ऐसे करें इस्तेमाल

पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि

सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए विधि-विधान से पूजा करें। सबसे पहले घर में या मंदिर में भगवान विष्णु व लक्ष्मीजी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल पीकर आत्मा शुद्धि करें। फिर रक्षासूत्र बांधे। इसके बाद शुद्ध घी से दीपक जलाकर शंख और घंटी बजाकर पूजन करें। व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद विधिपूर्वक प्रभु का पूजन करें और दिन भर उपवास करें।

सारी रात जागकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। दूसरे दिन सुबह भगवान विष्णु का पूजन पहले की तरह करें।  इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।

मंत्र

ॐ गोविन्दाय, माधवाय नारायणाय नम...

मनुष्य के अंदर इस जानवर के गुण होना है बेहद जरूरी, तभी हर काम में मिलेगी सफलता

इस मंत्र का 108 बार जाप करना है और हर बार मन्त्र पढ़ने के बाद एक बेलपत्र भी भगवान शंकर को जरूर चढ़ाएं। भगवान के पूजन के पश्चात ब्राह्मणों को अन्न, गर्म वस्त्र एवं कम्बल आदि का दान करना अति उत्तम कर्म है। यह व्रत क्योंकि शुक्रवार को है इसलिए इस दिन सफेद और गुलाबी रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए। व्रत में बिना नमक के फलाहार करना श्रेष्ठ माना गया है तथा अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।

पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा

प्राचीन काल में भद्रावती नगरी में सुकेतुमान नाम का राजा अपनी रानी शैव्या के साथ राज्य करता था। वह बड़ा धर्मात्मा राजा था और अपना अधिक समय जप, तप और धर्माचरण में व्यतीत करता था। राजा के द्वारा किया गया तर्पण पितर, देवता और ऋषि इसलिए नहीं लेते थे क्योंकि वह उन्हें ऊष्ण जान पड़ता था।

इस सबका कारण राजा के पुत्र का न होना था। राजा हर समय इस बात से चिंतित रहता था कि पुत्र के बिना वह देव ऋण, पितृ ऋण और मनुष्य ऋण से मुक्ति कैसे प्राप्त कर सकता है। इसी चिंता से एक दिन राजा बड़ा उदास एवं निराश होकर घोड़े पर बैठकर अकेले ही जंगल में निकल गया।

वहां भी पशु पक्षियों की आवाजों और शोर के कारण राजा के अशांत मन को शान्ति नहीं मिली। अंत में राजा ने कमल पुष्पों से भरे एक सरोवर को देखा, वहां ऋषि मुनि वेद मंत्रो का उच्चारण कर रहे थे। राजा ने सभी को प्रणाम किया तो विश्वदेव ऋषियों ने राजा की इच्छा पूछी। राजा ने उनसे पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा।

ऋषियों ने राजा को पुत्रदा एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। राजा वापिस राज्य में आया और उसने रानी के साथ पुत्रदा एकादशी का व्रत बड़े भाव से किया। व्रत के प्रभाव से राजा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिससे सभी प्रसन्न हुए और स्वर्ग के पितर भी संतुष्ट हो गए। शास्त्रों के अनुसार पुत्र प्राप्ति की कामना से व्रत करने वाले को पुत्र की प्राप्ति अवश्य होती है।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement