Paush purnima 2020: 10 जनवरी को पौष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि और शुक्रवार का दिन है | इसके साथ ही प्रयागराज में माघ मेले की भी शुरुआत हो जाएगी जोकि 21 जनवरी महाशिवरात्रि के दिन तक चलेगा। शास्त्रों में पौष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को स्नान-दान और व्रत का बड़ा ही महत्व बताया गया है | आज के दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान-दान और सूर्यदेव को अर्घ्य दे कर विधिपूर्वक व्रत रखने का विशेष महत्व है | माना जाता है कि आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति का तन और मन, दोनों पवित्र हो जाते हैं और व्यक्ति के अंदर एक नई ऊर्जा का समावेश होता है।
पौष पूर्णिमा का मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 10 जनवरी को 2 बजकर 34 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 10 जनवरी को रात 12 बजकर 51 मिनट तक।
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पौष पूर्णिमा का महत्व
पौष माह की पूर्णिमा को मोक्ष की कामना रखने वालों के बहुत ही शुभ मानी जाती हैं। क्योंकि पौष पूर्मिमा के साथ ही माघ महीने की शुरुआत होती है। माघ महीने में किए जाने वाले स्नान की शुरुआत भी पौष पूर्णिमा से ही हो जाती है। शास्त्रों में इसकों लेकर मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन विधिपूर्वक प्रात:काल स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। वह जन्म-मृत्यु के चक्कर से कोसों दूर चला जाता है। यानी उसे मुक्ति मिल जाती है। इस दिन से कोई भी काम करना शुभ माना जाता है।
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पौष पूर्णिमा व्रत विधि
पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर नित्य कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद भगवान की पूजन करें। इन्द्र और महालक्ष्मी जी की पूजा करते हुए घी का दीपक जलाएं। मां लक्ष्मी की पूजा में गन्ध पुष्प का इस्तेमाल जरूर करें। ब्राह्माणों को खीर का भोजन करवाएं और साथ ही उन्हें दान दक्षिणा देकर विदा करें। लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रूप से महिलाएं रखती हैं। इस दिन पूरी रात जागकर जो भगवान का ध्यान करते हैं उन्हें धन-संपत्ति प्राप्ति होती है। रात के वक्त चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खाना खाए।
माना जाता है कि पौष पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति वासुदेव प्रतिमा को घी से नहलाता है और अपने शरीर पर सरसों का तेल या सुगंधित वस्तुओं से युक्त जल से स्नान करता है, साथ ही विष्णु, इन्द्र और बृहस्पति के मंत्रों के साथ प्रतिमा का पूजन करता है, वह अत्यंत सुख को पाता है| उस व्यक्ति को जीवन में हर तरह का लाभ मिलता है |