Tuesday, November 05, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. एकादशी के साथ गणेश उत्सव का संयोग, ऐसे पूजा कर पाएं दोगुना फल

एकादशी के साथ गणेश उत्सव का संयोग, ऐसे पूजा कर पाएं दोगुना फल

इस बार एकादशी के साथ-साथ गणेश उत्सव भी चल रहा है। जिसके कारण इस दिश दोगुना फल मिलेगा। इस बार एकादशी शनिवार,2 सितंबर को है। जानिए पूजा विधि और कथा के बारें में..

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: September 01, 2017 11:02 IST
Vaman Ekadash- India TV Hindi
Vaman Ekadash

धर्म डेस्क: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पार्श्र्व, परिवर्तिनी या वामन द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार एकादशी के साथ-साथ गणेश उत्सव भी चल रहा है। जिसके कारण इस दिन दोगुना फल मिलेगा। इस बार एकादशी शनिवार,2 सितंबर को है।

 
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार मास के श्रवण के बाद करवट बदलते है।  इस दिन पूजन करने का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन सच्चे मन से मांगी हुई सभी मनोकामनाएं जरुर पूर्ण हो जाती है।  इस एकादशी के दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है। वह इस दिन प्रात: स्नान करके भगवान को स्मरण करते हुए विधि के साथ पूजा करें और उनकी आरती करनी चाहिए साथ ही उन्हें भोग लगाना चाहिए।

इस दिन भगवान नारायण की पूजा का विशेष महत्व होता है। साथ ही ब्राह्मणों तथा गरीबों को भोजन या फिर दान देना चाहिए। यह व्रत बहुत ही फलदायी होता है। इस व्रत को करने से समस्त कामों में आपको सफलता मिलती है। जानिए इसकी पूजा-विधि, और कथा के बारे में।

पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान का मनन करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल में जाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करें। इसके लिए अपने परिवार सहित पूजा घर में या मंदिर में भगवान विष्णु व लक्ष्मीजी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल पीकर आत्म शुद्धि करें।

ये भी पढ़ें:

रक्षा सूत्र बांधे। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। शंख और घंटी का पूजन अवश्य करें, क्योंकि यह भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद विधिपूर्वक प्रभु का पूजन करें और दिन भर उपवास करें।

सारी रात जागकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। अगले दूसरे दिन यानी की 14 सितंबर, बुधवार के दिन सुबह पहले की तरह करें।

इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।

अगली स्लाइड में पढ़े व्रत कथा के बारें में

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement