Monday, November 18, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. परिवर्तिनी एकादशी 2020: चार मास बाद भगवान विष्णु बदलेंगे करवट, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, व्रत कथा

परिवर्तिनी एकादशी 2020: चार मास बाद भगवान विष्णु बदलेंगे करवट, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, व्रत कथा

इस दिन भगवान श्री विष्णु शयन शैय्या पर सोते हुए करवट लेते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा की जाती है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: August 28, 2020 18:57 IST
परिवर्तिनी एकादशी - India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/SHIVANI.SV1008 परिवर्तिनी एकादशी 

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की उदया एकादशी तिथि और शनिवार का दिन है। एकादशी तिथि सुबह 8 बजकर 18 मिनट तक ही रहेगी, उसके बाद द्वादशी तिथि लग जाएगी जो कि अगली सुबह 8 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मा एकादशी के नाम से जाना जाता है। मध्यप्रदेश में इसे दोल ग्यारस के नाम  से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री विष्णु शयन शैय्या पर सोते हुए करवट लेते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा की जाती है। 

भगवान विष्णु के निमित्त व्रत और उनकी पूजा के  साथ ही  अलग-अलग सात अनाजों से मिट्टी के बर्तन भरकर रखने और अगले दिन उन्हीं बर्तनों को अनाज समेत दान करने का विधान है आज  ऐसा करने से आपका वर्चस्व कायम होगा और आपके सुख सौभाग्य में बढ़ोतरी होगी।

परिवर्तिनी एकादशी की शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ:  28 अगस्त सुबह 8 बजकर 40 मिनट से। 

एकादशी समाप्त: 29 अगस्त सुबह 8 बजकर 18 मिनट तक।

राशिफल 29 अगस्त: कुंभ राशि के जातकों को करियर में मिलेगी तरक्की, वहीं मकर राशि के लोग रहें सतर्क

परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि

परिवर्तिनी एकादशी के दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए विधि-विधान से पूजा करें। सबसे पहले घर में या मंदिर में भगवान विष्णु व लक्ष्मीजी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल पीकर आत्मा शुद्धि करें। फिर रक्षासूत्र बांधे। इसके बाद शुद्ध घी से दीपक जलाकर शंख और घंटी बजाकर पूजन करें। व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद विधिपूर्वक प्रभु का पूजन करें और दिन भर उपवास करें।

सारी रात जागकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। अगले दूसरे दिन यानी की 10 सितंबर, मंगलवार के दिन भगवान विष्णु का पूजन पहले की तरह करें।  इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।

मान्यता है कि पद्मा एकादशी के दिन सात तरह के अनाज - गेहूँ, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन अगर इन सात प्रकार के अनाजों से परहेज़ किया जाए तो दूसरों के बीच आपका वर्चस्व कायम होता है।

परिवर्तिनी एकादशी व्रत-कथा

स्वर्ग की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त था और प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहां फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया, लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा।

पूजा में विलंब होती देख राजा कुबेर ने सेवकों को माली के न आने का कारण जानने के लिए भेजा। तब सेवकों ने पूरी बात आकर राजा को सच-सच बता दी। यह सुनकर कुबेर बहुत क्रोधित हुआ और उसने माली को श्राप दे दिया कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक (पृथ्वी) में जाकर कोढ़ी बनेगा।

मनुष्य को हमेशा इस चीज पर रखना चाहिए कंट्रोल, नहीं तो पलभर में खो देता है विश्वास

कुबेर के श्राप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया। भूतल पर आते ही उसके शरीर में कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंर्तध्यान हो गई।

मृत्युलोक में बहुत समय तक हेम माली दु:ख भोगता रहा परंतु उसको पिछले जन्म की स्मृति का ज्ञान रहा। एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। उसे देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले- तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से तुम्हारी यह हालत हो गई। हेम माली ने पूरी बात उन्हें बता दी।

उसकी व्यथा सुनकर ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। हेम माली ने विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से वह अपने पुराने स्वरूप में आकर अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।

व्रत के दिन व्रत के सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही साथ जहां तक हो सके व्रत के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। भोजन में उसे नमक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इससे आपको हजारों सालों की तपस्या के बराबर फल मिलेगा।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement