धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम करने से पहले ये देखा जाता है कि कोई शुभ या अशुभ दिन या फिर अच्छा मुहूर्त है कि नही। ज्योतिषों के अनुसार कुछ नक्षत्रों में शुभ काम अच्छा होता है और कुछ में शुभ काम करने की मनाही होती है। इसी नक्षत्रों में पंचक आधारित होता है।
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पंचक चन्द्रमा की स्थिति पर आधारित गणना है। गोचर में चन्द्रमा जब कुंभ राशि से मीन राशि तक रहता है तब इसे पंचक कहा जाता है, इस दौरान चंद्रमा पांच नक्षत्रों में से गुजरता है। ऐसे भी कह सकते हैं कि धनिष्ठा नक्षत्र का उत्तरार्ध, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र ये पांच नक्षत्र पंचक कहलाते है। इस अवसर में कोई भी शुभ काम करना मना होता है।
पंचक कब से कब तक है पंचक, जानिए
इस बार पंचक 25 फरवरी, शनिवार की सुबह 7 बजकर 11 मिनट से शुरु हो गए है। जो कि 1 मार्च, बुधवार की शाम 5 बजकर 10 मिनट तक रहेगे। इस बार शनिवार से पंचक शुरु होने के कारण इसे मृत्यु पंचक कहा जाएगा।
इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है। इसलिए इन पंचकों के दौरान कोई ऐसा काम न करें। जिससे आपको परेशानियों का सामना करना पड़े। जानिए इसका शुभ और अशुभ फल। इसके साथ ही जानिए इन दिनों में कौन से काम नहीं करना चाहिए।
राजमार्त्तण्ड के अनुसार पंचक के नक्षत्रों को शुभ फल और अशुभ फल
शुभ फल
- शतभिषा नक्षत्र और घनिष्ठा नक्षत्र को चल संज्ञक माना जाता है। इसमें चलते हुए काम करना शबम माना जाता है जैसे कि यात्रा, वाहन करना आदि शुभ माना गया है।
- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र स्थिर संज्ञक नक्षत्र माना गया है। इस नक्षत्र में स्थिर काम अच्छे माने जाते है जैसे कि ग्रह प्रवेश, बीज बोना, गृह प्रवेश या फिर जमीन से जुड़ा कोई स्थिर काम हो। इस नक्षत्र में ये काम करने से आपको जरूर सफलता मिलेगी।
- रेवती नक्षत्र को मैत्री संज्ञक माना जाता है। यह नक्षत्र व्यापार के लिए काफी अच्छा होता है। इस नक्षत्र में कपड़े, गहने खरीदना या फिर कोई विवाद से छुटकारा पाना शुभ माना जाता है।
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