प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में काल, समय आदि का विशेष महत्व माना गया है। मुहूर्त में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति की गणना के आधार पर किसी भी कार्य के लिए शुभ-अशुभ होने पर विचार किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता अनुसार, कुछ नक्षत्रों या ग्रह संयोग में शुभ कार्य करना बहुत ही अच्छा माना जाता है, वहीं कुछ नक्षत्रों में कोई विशेष कार्य करने की मनाही रहती है। इन्हीं में से एक नक्षत्र है पंचक। जिसमें शुभ काम करने की मनाही होती है। शनिवार को पंचक लगने के कारण इसे मृत्यु पंचक के नाम से जाना जाएगा।
क्या है मृत्यु पंचक?
शनिवार को शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहते है। इस पंचक में शादी जैसे शुभ काम करने की मनाही होती है। इस पंचक में कोई भी ऐसे काम नही करना चाहिए जोखिम भरे हो। ऐसा करने से जान माल का नुकसान हो सकता है।
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कब से कब तक है पंचक
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार पंचक नक्षत्र 21 नवंबर से शुरू हो रहे है जोकि 26 नवंबर रात 9 बजकर 20 मिनट तक रहेंगे।
पंचक में बिल्कुल भी न करें ये काम
- लकड़ी आदि का कार्य भी नहीं करना चाहिए और ना ही घर बनाने के लिये लकड़ी इकट्ठी करनी चाहिए। ऐसा करने से धन की हानि हो सकती है।
- चारपाई या बेड नहीं लेना चाहिए और ना ही बनवाना चाहिए।
- अगर पहले से ही कोई काम चल रहा है तो उसे जारी रख सकते है।
- किसी तरह का लेन-देन या व्यापारिक सौदे नहीं करने चाहिए।
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- पूरे पंचक के दौरान घर की छत नहीं बनवानी चाहिए।
- अगर किसी की शादी हुई है तो नई दुल्हन को घर न लाएं और न ही विदा करें।
- अगर किसी की मृत्यु हो गई है तो उसके अंतिम संस्कार ठीक ढंग से न किया गया तो पंचक दोष लग सकते है। इसके बारें में विस्तार से गरुड़ पुराण में बताया गया है जिसके अनुसार अगर अंतिम संस्कार करना है तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लेनी चाहिए और साथ में जब अंतिम संस्कार कर रहे हो तो शव के साथ आटे या कुश के बनाए हुए पांच पुतले बना कर अर्थी के साथ रखें। और इसके बाद शव की तरह ही इन पुतलों का भी अंतिम संस्कार विधि-विधान से करें।