आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में मुहूर्त (काल, समय) का विशेष महत्व माना गया है। मुहूर्त में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति की गणना के आधार पर किसी भी कार्य के लिए शुभ-अशुभ होने पर विचार किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता अनुसार, कुछ नक्षत्रों या ग्रह संयोग में शुभ कार्य करना बहुत ही अच्छा माना जाता है, वहीं कुछ नक्षत्रों में कोई विशेष कार्य करने की मनाही रहती है।
धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती भी ऐसे ही पांच नक्षत्रों का एक समूह है। धनिष्ठा के प्रारंभ होने से लेकर रेवती नक्षत्र के अंत समय को पंचक कहते हैं।
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कब है पचंक
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार आज देर रात 3 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 15 जून की देर रात 3 बजकर 18 मिनट तक पंचक रहेंगे।
कौन-कौन से वार के अनुसार होते हैं पचंक
रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। साथ ही किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है
सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है।
मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी और विवाद आदि के फैसले अपने पक्ष में लाने के लिए प्रयास किये जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान होने की सम्भावना बनी रहती है।
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बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक में शुभ मुहूर्त देखकर सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य किये जा सकते हैं।
शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। विद्वानों के अनुसार, इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए। ऐसा करने से धन हानि होने की संभावना बनी रहती है।
शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता चलता है कि ये अशुभ है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट लगने आदि का खतरा रहता है।
पंचक के दौरान नहीं होते है ये कार्य
- पूरे पंचक के दौरान घर की छत नहीं बनवानी चाहिए।
- लकड़ी या घास इकठ्ठी नहीं करना चाहिए।
- चारपाई या बेड नहीं लेना चाहिए और ना ही बनवाना चाहिए।
- अगर पहले से ही कोई काम चल रहा है तो उसे जारी रख सकते है।
- अगर किसी की शादी हुई है तो नई दुल्हन को घर न लाएं और न ही विदा करें।
- अगर किसी की मृत्यु हो गई है तो उसके अंतिम संस्कार ठीक ढंग से न किया गया तो पंचक दोष लग सकते है। इसके बारें में विस्तार से गरुड़ पुराण में बताया गया है जिसके अनुसार अगर अंतिम संस्कार करना है तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लेनी चाहिए और साथ में जब अंतिम संस्कार कर रहे हो तो शव के साथ आटे या कुश के बनाए हुए पांच पुतले बना कर अर्थी के साथ रखें। और इसके बाद शव की तरह ही इन पुतलों का भी अंतिम संस्कार विधि-विधान से करें।