धर्म डेस्क: शास्त्रों के अनुसार पंचक में कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है। अगर आपने इस काल में कोई शुभ काम किया तो उसका फल अच्छा साबित नहीं होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार इस माह में पंचक 30 जुलाई से 3 अगस्त तक चलेगें। जानिए कौन से काम करना होता है अशुभ।
श्रावण मास की कांवड़ यात्रा पर पंचक के कारण अब ब्रेक लग जाएगा। रविवार शाम पांच बजे से पंचक लग गए हैं। पंचकों का समापन तीन अगस्त को दोपहर बाद होगा। अब चार अगस्त से कांवड़ियों की भारी भीड़ हरिद्वार में जुट जाएगी। हालांकि रविवार को कांवड़ यात्रा पर इसका असर नहीं दिखाई दिया। अलबत्ता अब कांवड़ियों की संख्या कम होने के आसार हैं।
कब से कब तक पंचक
29 जुलाई (रविवार): शाम 5 बजकर 5 मिनट से
3 अगस्त (शुक्रवार): दोपहर 2 बजकर 26 मिनट तक।
शास्त्रीय विधा के अनुसार जब भी धनिष्ठा, शतभिषा, पूभा, उभी और रेवती नक्षत्र एक साथ पड़ते हैं, तब बांस से बने सामान की खरीद और स्पर्श वर्जित होते हैं। यद्यपि बदलते दौर में कांवड़ बनाने में बांस का प्रयोग काफी कम होने लगा है। फिर भी बांस की टोकरियों में गंगाजल रखकर ले जाने वालों की संख्या कम नहीं है। विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कांवड़िए पंचकों से बचकर जल भरने आते हैं। इन कांविड़यों का आगमन चार अगस्त से होगा और कांवड़ यात्रा का चरमकाल भी उसी दिन से शुरू होगा।(सावन का पहला सोमवार, बेलपत्र के अलावा ये चीजें चढ़ाकर करें भगवान शिव को प्रसन्न)
माना जा रहा है कि जिन कांवड़ियों को अपने घरों से चलना था वे चार दिन रुककर आएंगे। तीन अगस्त को पहुचंने के बाद शाम दोपहर चार बजे कांवड़ भरकर लौटने लगेंगे। हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के कांवड़िए पंचक नहीं मानते। रविवार को पंचक लगने से पहले देर शाम तक कांवड़ियों की वापसी हो रही थी। लौटने वाले जो कांविड़ए पंचकों का परहेज करते हैं उन्होंने पंचक लगने से ही पहले ही हरिद्वार छोड़ दिया। रविवार को कांवड़ बाजार में कीचड़ होने के बावजूद कांवड़िए खरीदारी करने में व्यस्त रहे। पंतद्वीप के बाद अब रोड़ी मैदान के कांवड़ बाजार में भी जोरदार खरीदारी होने लगी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश से आए अधिकांश कांवड़ियों ने अपने डेरे रोड़ी के मैदान में लगाए हैं।(पंचांग 30 जुलाई 2018: दिन सोमवार नक्षत्र 'धनिष्ठा', जानिए आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल)
गुलर के पेड़ से नीचे से गुजरने से बचें
पंडित अमित श्रीकुंज के अनुसार मान्यता है कि गूलर का वृक्ष व्यक्ति के सारे पुण्य हर लेता है। इसलिए कांवड़ लेकर गुलर के वृक्ष के नीचे से नहीं निकलना चाहिए। कांवड़ यात्रा शुरू करने से पहले भैरव बाबा की पूजा करें तो रास्ते में थकान नहीं होती। जिस कलश में जल भरना हो उसमें पहले ही आम, पीपल या बड़ के पत्ते डाल दें। ऐसा करने से यात्रा सगुम हो जाती है। कांवड़ उठाने के बाद क्रोध करना मना है। केवल शिव के नाम का उच्चारण करना चाहिए। यात्रा में निवारण यंत्र साथ रखना चाहिए, ताकि समस्याओं का निदान जाए। पंचकों के दौरान पड़ने वाले नक्षत्र अशुभ माने जाते हैं। इन नक्षत्रों में यात्रा करना ज्योतिष की दृष्टि से वर्जित है।(30 जुलाई 2018 राशिफल: इन राशियों की जिंदगी में आ सकते हैं उतार-चढ़ाव, लक्ष्मी जी के सामने जलाएं घी का दीपक