प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में मुहूर्त (काल, समय) का विशेष महत्व माना गया है। मुहूर्त में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति की गणना के आधार पर किसी भी कार्य के लिए शुभ-अशुभ होने पर विचार किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता अनुसार, कुछ नक्षत्रों या ग्रह संयोग में शुभ कार्य करना बहुत ही अच्छा माना जाता है, वहीं कुछ नक्षत्रों में कोई विशेष कार्य करने की मनाही रहती है। शुक्रवार को पंचक लगने के कारण इसे चोर पंचक के नाम से जाना जाएगा।
धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती भी ऐसे ही पांच नक्षत्रों का एक समूह है। धनिष्ठा के प्रारंभ होने से लेकर रेवती नक्षत्र के अंत समय को पंचक कहते हैं। पंचक नक्षत्रों के दौरान लकड़ी से जुड़ा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। यहां तक कि घर बनाने के लिये लकड़ी इकट्ठी भी नहीं करनी चाहिए। 12 फरवरी से पंचक शुरू हो रहे हैं। जानिए पंचक के दौरान किन चीजों की होती है मनाही।
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कब और किस समय लगेगा पंचक
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार पंचक 12 फरवरी को तड़के 2 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रहे हैं और ये 16 फरवरी रात 8 बजकर 57 मिनट तक रहेंगे |
चोर पंचक
शुक्रवार को शुरू होने वालें पचंक को चोर पंचक कहते है। इस दिन यात्रा करने की मनाही होती है। साथ ही इस दिनों में व्यापार लेन देन की भी मनाही होती है। अगर इस दिन मनाही वाले काम करते है तो आपको धन की हानि होती है।
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पंचक के दौरान बिल्कुल भी न करें ये काम
- पंचक के दौरान बिजनेस को लेकर किसी भी तरह का लेनदेन नहीं करना चाहिए।
- पंचकों के दिनों में किसी भी तरह की यात्रा की शुरुआत न करे।
- अगर किसी की शादी हुई है तो नई दुल्हन को घर नहीं लाना चाहिए और न ही विदा करना चाहिए।
- लकड़ी आदि का कार्य भी नहीं करना चाहिए और ना ही घर बनाने के लिये लकड़ी इकट्ठी करनी चाहिए। ऐसा करने से धन की हानि हो सकती है।
- पूरे पंचक के दौरान घर की छत नहीं बनवानी चाहिए।
- चारपाई या बेड नहीं लेना चाहिए और ना ही बनवाना चाहिए।
- अगर किसी की मृत्यु हो गई है तो उसके अंतिम संस्कार ठीक ढंग से न किया गया तो पंचक दोष लग सकते है। इसके बारें में विस्तार से गरुड़ पुराण में बताया गया है जिसके अनुसार अगर अंतिम संस्कार करना है तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लेनी चाहिए और साथ में जब अंतिम संस्कार कर रहे हो तो शव के साथ आटे या कुश के बनाए हुए पांच पुतले बना कर अर्थी के साथ रखें। और इसके बाद शव की तरह ही इन पुतलों का भी अंतिम संस्कार विधि-विधान से करें।