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पापमोचिनी एकादशी 24 को: इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें श्री विष्णु की पूजा

होली और चैत्र नवरात्र के बीच जो एकादशी आती है उसे पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी को सभी पापों को नाश करने वाली एकादशी बोला जाता है। इस बार ये एकादशी 24 मार्च, शुक्रवार को पड़ रही है। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारें में...

India TV Lifestyle Desk
Updated : March 23, 2017 14:22 IST
lord vishnu- India TV Hindi
lord vishnu

धर्म डेस्क: होली और चैत्र नवरात्र के बीच जो एकादशी आती है उसे पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी को सभी पापों को नाश करने वाली एकादशी बोला जाता है। इस बार ये एकादशी 24 मार्च, शुक्रवार को पड़ रही है।

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इस एकादशी के बारें में पुराण ग्रंथों में कहा गया है कि यदि मनुष्य जाने-अनजाने में किए गये अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहता है तो उसके लिये पापमोचिनी एकादशी ही सबसे बेहतर दिन होता है।

व्रत व पूजा विधि

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और सकंल्प लेकर व्रत की शुरुआत की जाती है। ऐसे करें व्रत। ब्रह्ममूहुर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। घी का दीप अवश्य जलाए। जाने-अनजाने में आपसे जो भी पाप हुए हैं उनसे मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।

इस दौरान ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप निरंतर करते रहें। एकादशी की रात्रि प्रभु भक्ति में जागरण करे, उनके भजन गाएं। साथ ही भगवान विष्णु की कथाओं का पाठ करें। द्वादशी के दिन उपयुक्त समय पर कथा सुनने के बाद व्रत खोलें।

एकादशी व्रत दो दिनों तक होता है लेकिन दूसरे दिन की एकादशी का व्रत केवल सन्यासियों, विधवाओं अथवा मोक्ष की कामना करने वाले श्रद्धालु ही रखते हैं।  व्रत द्वाद्शी तिथि समाप्त होने से पहले खोल लेना चाहिये लेकिन हरि वासर में व्रत नहीं खोलना चाहिये और मध्याह्न में भी व्रत खोलने से बचना चाहिये।  अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो रही हो तो सूर्योदय के बाद ही पारण करने का विधान है।

अगली स्लाइड में पढ़े शुभ मुहूर्त के बारें में

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