Saturday, November 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. राजगीर में मलमास के वक्त 33 करोड़ देवी-देवता विराजते हैं, जानिए पूरी कहानी

राजगीर में मलमास के वक्त 33 करोड़ देवी-देवता विराजते हैं, जानिए पूरी कहानी

मलमास (अधिमास) में सभी शुभ कार्यो पर रोक लगी रहती है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दौरान सभी 33 करोड़ देवी-देवता बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में रहते हैं। मान्यता है कि यहां विधि-विधान से भगवान विष्णु (भगवान शालीग्राम) की पूजा करने से लोगों को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। 

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: May 20, 2018 12:24 IST
राजगीर मलमास मेला- India TV Hindi
राजगीर मलमास मेला

धर्म डेस्क: मलमास (अधिमास) में सभी शुभ कार्यो पर रोक लगी रहती है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दौरान सभी 33 करोड़ देवी-देवता बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में रहते हैं। मान्यता है कि यहां विधि-विधान से भगवान विष्णु (भगवान शालीग्राम) की पूजा करने से लोगों को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। यही कारण है कि अधिमास में यहां ब्रह्म कुंड पर साधु-संतों सहित पर्यटकों की भारी भीड़ लगी रहती है। 

तीन वर्षो में एक बार लगने वाले मलमास इस वर्ष 16 मई से शुरू हुआ है। मलमास के दौरान राजगीर में एक महीने तक विश्व प्रसिद्ध मेला लगता है, जिसमें देशभर के साधु-संत पहुंचते हैं। इस साल इस प्रसिद्ध मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 16 मई को किया है। 

राजगीर की पंडा समिति के धीरेंद्र उपाध्याय आईएएनएस को बताया कि इस एक महीने में राजगीर में काला काग को छोड़कर हिंदुओं के सभी 33 करोड़ देवता राजगीर में प्रवास करते हैं। प्राचीन मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु द्वारा राजगीर के ब्रह्म कुंड परिसर में एक यज्ञ का आयोजन कराया गया था, जिसमें 33 करोड़ देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया था और वे यहां पधारे भी थे, लेकिन काला काग (कौआ) को निमंत्रण नहीं दिया गया था।

जनश्रुतियों के मुताबिक, इस एक माह के दौरान राजगीर में काला काग कहीं नहीं दिखते। इस क्रम में आए सभी देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नानादि करने में परेशानी हुई थी, तभी ब्रह्मा ने यहां 22 कुंड और 52 जलधाराओं का निर्माण किया था।

इस ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी में कई युगपुरुष, संत और महात्माओं ने अपनी तपस्थली और ज्ञानस्थली बनाई है। इस कारण मलमास के दौरान यहां लाखों साधु-संत पधारते हैं। मलमास के पहले दिन हजारों श्रद्घालुओं ने राजगीर के गर्म कुंड में डुबकी लगाते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं।

राजगीर कुंड के पुजारी बलबीर उपाध्याय बताते हैं कि मलमास के दौरान राजगीर छोड़कर दूसरे स्थान पर पूजा-पाठ करने वाले लोगों को किसी तरह के फल की प्राप्ति नहीं होती है, क्योंकि सभी देवी-देवता राजगीर में रहते हैं।

पंडित प्रेम सागर बताते हैं कि जब दो अमावस्या के बीच सूर्य की संक्रांति अर्थात सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश नहीं करते हैं तो मलमास होता है। मलमास वाले साल में 12 नहीं, बल्कि 13 महीने होते हैं। इसे अधिमास, अधिकमास, पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस महीने में जो मनुष्य राजगीर में स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसके सभी पाप कट जाते हैं और वह स्वर्ग में वास का भागी बनता है। 

धीरेंद्र उपाध्याय कहते हैं कि 'ऐतरेय बाह्मण' में यह मास अपवित्र माना गया है और 'अग्निपुराण' के अनुसार इस अवधि में मूर्ति पूजा-प्रतिष्ठा, यज्ञदान, व्रत, वेदपाठ, उपनयन, नामकरण आदि वर्जित हैं। इस अवधि में राजगीर सर्वाधिक पवित्र माना जाता है।

उल्लेखनीय है कि राजगीर न केवल हिंदुओं के लिए धार्मिक स्थली है, बल्कि बौद्ध और जैन धर्म के श्रद्धालुओं के लिए भी पावन स्थल है।

इस वर्ष 13 जून तक मलमास रहेगा। इधर, पूरे मास लगने वाले मलमास मेले में आने वाले सैलानियों के स्वागत में भगवान ब्रह्मा द्वारा बसाई गई नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया है। 

पर्यटन विभाग से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी समेत स्थानीय लोग आने वाले लोगों को कोई परेशानी नहीं हो इसका खास ख्याल रख रहे हैं। तकरीबन तीन साल पर लगने वाले इस मेले की प्रतीक्षा जितनी सैलानियों को होती है, उससे कहीं अधिक सड़क किनारे व फुटपाथों पर लगाने वाले दुकान संचालकों को भी। इस वर्ष मलमास मेला में सुरक्षा के भी पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। 

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement