शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा करने का विशेष महत्व है। नवरात्र के आठवें दिन को महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। अष्टमी तिथि में मां दुर्गा की आठवीं शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाएगी। अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस साल अष्टमी तिथि को लेकर थोड़ा सा असमंजस कि यह 13 को पड़ रही हैं कि 14 को।
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्र 8 दिन के पड़े है। जिसमें तृतीया और चतुर्थी एक ही दिन पड़े थे। इसके कारण महाअष्टमी 13 अक्टूबर और नवमी 14 अक्टूबर को पड़ रही है।
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महागौरी का स्वरुप
महागौरी का रंग पूर्णतः गोरा होने के कारण ही इन्हें महागौरी या श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है । इनके रंग की उपमा शंख, चन्द्र देव और कन्द के फूल से की जाती है । मां शैलपुत्री की तरह इनका वाहन भी बैल है । इसलिए इन्हें भी वृषारूढ़ा कहा जाता है। मां के हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है। अपने सांसारिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा हैं।
मां महागौरी पूजा शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 12 अक्टूबर को रात 9 बजकर 48 मिनट से शुरू
अष्टमी तिथि समाप्त- 13 अक्टूबर को रात 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगी।
अमृत काल- सुबह 3 बजकर 23 मिनट से 4 बजकर 56 मिनट तक
दिन का चौघड़िया मुहूर्त
लाभ – सुबह 6 बजकर 26 मिनट से शाम 7 बजकर 53 मिनट तक।
अमृत – सुबह 7 बजकर 53 मिनट से रात 9 बजकर 20 मिनट तक
शुभ – सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक।
लाभ – सुबह 4 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 59 मिनट तक।
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मां महागौरी की पूजा विधि
अष्टमी के दिन सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के मंदिर में लकड़ी की चौक पर महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें। मां के आगे दीपक जलाएं और फल, फूल अर्पित करें। मां की आरती के बाद कन्या पूजन करें।
आज महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के महागौरी के निमित्त उपवास किया जाता है। लेकिन धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ- 67 पर चर्चा में ये उल्लेख भी मिलता है कि पुत्रवान व्रती इस दिन उपवास नहीं करता। साथ ही वह नवमी तिथि को पारण न करके अष्टमी को ही व्रत का पारण कर लेता है।
महागौरी का बीजमंत्र
सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके.
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते
राहु संबंधी दोषों से छुटकारा पाने के लिए महागौरी की पूजा करनी चाहिए । जो लोग अपने अन्न-धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि करना चाहते हैं, उन्हें आज महागौरी की उपासना जरूर करनी चाहिए, साथ ही महागौरी के इस मंत्र का 21 बार जप करके लाभ उठाना चाहिए।
कन्या पूजन का महत्व
देवी मां की पूजा के साथ ही कुमारियों और ब्राह्मणों को भोजन भी कराना चाहिए | विशेष रूप से कुमारियों को घर पर आदर सहित बुलाकर उनके हाथ-पैर धुलवाकर, उन्हें आसन पर बिठाना चाहिए और उन्हें हलवा, पूड़ी और चने का भोजन कराना चाहिए | भोजन कराने के बाद कुमारियों को कुछ न कुछ दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद भी लेना चाहिए | इससे देवी मां बहुत प्रसन्न होती हैं और मन की मुरादें पूरी करती हैं ।