आज नवरात्र के सप्तमी तिथि में माता दुर्गा के सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी। मां कालरात्रि को शुंभकरी के नाम से भी जाना जाता है। आज देवी कालरात्रि की उपासना करने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार का भय नहीं रहता। उनके मन से हर प्रकार का डर दूर होता है।
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मां कालरात्रि का स्वरुप
जब माता पार्वती ने शुंभ-निशुंभ का वध करने के लिए अपने स्वर्णिम वर्ण को त्याग दिया था तब उन्हें कालरात्रि के नाम से जाना गया। मां कालरात्रि का वाहन गधा है और इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से ऊपर का दाहिना हाथ वरद मुद्रा में और नीचे का हाथ अभयमुद्रा में रहता है, जबकि बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और निचले हाथ में खड़ग है। मां का ये स्वरूप देखने में भले ही भयानक लगता है किन्तु ये बड़ा ही शुभ फलदायक है।
मां कालरात्रि पूजा विधि
मां कालरात्रि की पूजा सुबह के समय करना शुभ माना जाता है। मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मकर और कुंभ राशि के जातको को कालरात्रि की पूजा जरूर करनी चाहिए। परेशानी में हो तो सात या नौ नींबू की माला देवी को चढ़ाएं। सप्तमी की रात्रि तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं। सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का पाठ करना चाहिए। यथासंभव इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
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मां कालरात्रि के इन मंत्रों का जाप करें
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
अगर आपका कोई शत्रु आपके पीछे पड़ा हुआ है या आपके घर की सुख-शांति कहीं खो गई है, तो आज आपको मां कालरात्रि की उपासना जरूर करनी चाहिए । साथ ही उनके इस मंत्र का 11 बार जप करना चाहिए ।
मां कालरात्रि का मंत्र इस प्रकार है-
य त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥
मां कालरात्रि को भोग
सप्तमी नवरात्रि पर मां को खुश करने के लिए गुड़ या गुड़ से बने व्यंजनों का भोग लगा सकते हैं।