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Navratri 8th Day: दुर्गाष्टमी आज, जानिए मां महागौरी पूजन विधि और मंत्र

आज नवरात्र का आठवां दिन है। इसे महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। आज दुर्गा जी की आठवीं शक्ति माता महागौरी की उपासना की जायेगी।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : October 24, 2020 6:49 IST
Navratri 8th Day: दुर्गाष्टमी आज, जानिए मां महागौरी पूजन विधि और मंत्र
Image Source : INDIA TV Navratri 8th Day: दुर्गाष्टमी आज, जानिए मां महागौरी पूजन विधि और मंत्र

आज आश्विन शुक्ल पक्ष की उदया तिथि अष्टमी और दिन शनिवार है। अष्टमी तिथि आज सुबह 6 बजकर 59 मिनट तक ही रहेगी उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी।  नवरात्र का पर्व उदया तिथि में मनाया जाता है लिहाजा आज दुर्गाष्टमी व्रत है। आज नवरात्र का आठवां दिन है। इसे महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। आज  दुर्गा जी की आठवीं शक्ति माता महागौरी की उपासना की जायेगी। इनका रंग पूर्णतः गोरा होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है।

ऐसा है महागौरी का स्वरूप

शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि महागौरी को शिवा भी कहा जाता है। इनके हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है। अपने सांसारिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा हैं। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है तो तीसरा हाथ वरमुद्रा में हैं और चौथा हाथ एक गृहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता हुआ है। महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है। ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं। इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत हैं। महागौरी की उपासना से पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

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ये है पूजन विधि

अष्टमी के दिन सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के मंदिर में लकड़ी की चौक पर महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें। मां के आगे दीपक जलाएं और फल, फूल अर्पित करें। मां की आरती के बाद कन्या पूजन करें। 

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आज महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के महागौरी  के निमित्त उपवास किया जाता है, लेकिन धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ- 67 पर चर्चा में ये उल्लेख भी मिलता है कि पुत्रवान व्रती इस दिन उपवास नहीं करता। साथ ही वह नवमी तिथि को पारण न करके अष्टमी को ही व्रत का पारण कर लेता है।

महागौरी का बीजमंत्र

सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके.
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते

आज करें कन्या पूजन

महाअष्टमी के दिन देवी मां की पूजा के साथ ही कुमारियों  को भोजन कराया जाता है। स्कंदपुराण में कुमारियों के बारे में बताया गया है  की  2 वर्ष की कन्या को कुमारिका कहते हैं, 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहते हैं। इसी प्रकार क्रमश: कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शांभवी, दुर्गा, सुभद्रा आदि वर्गीकरण भी किये गये हैं। अष्टमी के दिन कुमारी भोजन में पूड़ी , चने और मीठा हलुआ खिलने की परम्परा है । कुमारियों को यथेष्ट भोजन कराने के बाद   कुछ दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। महाष्टमी में दान की वस्तुओं में कमर और उससे ऊपर धारण किये जाने योग्य चीज़ें ही दान करनी चाहिए । बाकी आपके ऊपर निर्भर है।

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