आचार्य इंदु प्रकाश ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार नवरात्र में हर दिन ही माता को कुछ न कुछ भेंट करने का विधान है। इससे मां जल्द प्रसन्न होती है। इसके साथ ही आपके ऊपर उनकी हमेशा बनी रहती हैं। नवरात्र के 4 दिन जा चुके है। लेकिन अगर आपने पिछले दिनों में ये सब माता को न चढ़ाया हो, तो
कोई बात नहीं है। देर आये, दुरुस्त आये। आप आज के दिन ये सब चीज़ें चढ़ाकर माता का आशीर्वाद पा सकते हैं, लेकिन अगर आप ये सबकुछ एक साथ चढ़ाने में समर्थ न हो तो जितना आप से बन पड़े, उतना चढ़ाइये, लेकिन जो भी चढ़ाना है। वो आज ही चढ़ा लीजिये
- नवरात्र के पहले दिन देवी को शरीर में लेपन के तौर पर लगाने के लिए चंदन और केश धोने के लिए त्रिफला चढ़ाना चाहिए। त्रिफला में आंवला, हर्रड़ और बहेड़ा डाला जाता है।
- दूसरे दिन केषों को ठीक स्थान पर रखने के लिए माता को रेशम की पट्टी दी जाती है।
- तीसरे दिन पैरों को रंगने के लिए आलता, सिर के लिए सिंदूर और देखने के लिए दर्पण दिया जाता है।
- चौथे दिन देवी को शहद, मस्तक पर तिलक लगाने के लिए चांदी का एक टुकड़ा और आंख में लगाने का अंजन, यानि कि काजल दिया जाता है।
- नवरात्र के पांचवें दिन देवी मां को अंगराग, यानि सौन्दर्य प्रसाधन की चीज़ें और अपने सामर्थ्य अनुसार आभूषण चढ़ाने का विधान है।
- नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना की जायेगी और बेल के पेड़ के पास जाकर देवी का बोधन किया जायेगा। इस बारे में हम हम नवरात्र के छठे दिन बताएंगे।
- नवरात्र के सातवें दिन मंत्रोच्चारण के साथ बेल के पेड़ से लकड़ी तोड़कर लाई जाती है।
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