इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी को अरूहूल का फूल जो लाल रंग का होता है और कमल की बनी हुई माला पहनाएं। इसके बाद भोग में मां को चीनी चढाएं। जिससे मां जल्द ही प्रसन्न होती है। इसके बाद शिव जी की पूजा करें और फिर ब्रह्मा जी के नाम से जल, फूल, अक्षत आदि हाथ में लेकर “ऊं ब्रह्मणे नम:” कहते हुए इसे भूमि पर रखें।
अब मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके साथ ही मंत्र, स्तोत्र पाठ, कवच के जाप करें। फिर घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें।
अंत में अपने दोनों हाथ जोड़कर सभी देवी देवताओं को नमस्कार करें और क्षमा प्रार्थना करते हुए इस मंत्र को बोलें-
आवाहनं न जानामि न जानामि वसर्जनं, पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरी।।
इसके बाद रोज शाम को मां दुर्गा की आरती करें और प्रसाद बाटें। इस दिन आप कन्याओं को अपने घर बुलाकर उनका पूजन करें। इसके बाद उन्हें भोजन कराकर कपड़ें आदि भेंट करें। इससे आपकी हर मनोकामना जल्द ही पूर्ण हो जाएगी