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मां दुर्गा की इस कारण बनाई जाती है रात में आंखें, जानें मूर्तिकार से माता के बारें में अनसुनी बातें

कोई कहता कि मूर्तियों को बनाने के लिए तवायफ के घर के बाहर से मिट्टी आती हैं तो कोई कहता दुर्गा जी की मूर्तियों की आँखे कारीगर सिर्फ रात में बनाते हैं। जानें क्या है हकीकत

Written by: Prashant Tiwari
Updated on: October 10, 2018 21:18 IST
Maa Durga- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Maa Durga

शारदीय नवरात्र 2018 की तैयारियां पूरी जोरो शोरो से चल रही, वही इस नवरात्र में दुर्गा पूजा का बहुत ही महत्व हैं। पंडाल सजने लगे, मुर्तिया बनने लगी और मूर्तियों को लेकर ढ़ेर सारी बातें होने लगी। कोई कहता कि मूर्तियों को बनाने के लिए तवायफ के घर के बाहर से मिट्टी आती हैं तो कोई कहता दुर्गा जी की मूर्तियों की आँखे कारीगर सिर्फ रात में बनाते हैं। कोई कहता मिट्टी बंगाल से आती तो कोई कहता की बरसात के विशेष पानी से मूर्तियों का निर्माण होता हैं।

कई सवाल थे मन में उन्हें जानने के लिए हम निकल पड़े दिल्ली के उस कोने काली बारी CR PARK में जहां बनती हैं मां दुर्गा की मूर्तियां।

maa durga

maa durga

इन्ही सवालों का जवाब ढूंढते हमारी बात हुई वह के प्रमुख शिल्पकार गोविन्दो जी से...

दिल्ली के CR PARK में स्थित कालीबाड़ी में इस वक़्त दुर्गा जी की मूर्तियों का काम बहुत तेज़ी से हो रहा है... मूर्तियों को आकर दिया जा रहा था तो कुछ मूर्तियों की पेंटिंग चल रही।

Lord Ganesha

Lord Ganesha

बंगाल से आए सभी कारीगर अपने काम में इस तरह मशरूफ दिख रहे थे... उन पर काम को जल्दी ख़त्म करने कि ज़िम्मेदारी थी... तो वही चारों तरफ मां दुर्गा कि बड़ी-बड़ी मुर्तिया अपने आप में अद्भुत लग रही थी... वही महिषासुर की मूर्ति में क्रूरता की झलक देखने को मिल रही थी।

Maa Durga

Maa Durga

मैंने बातों ही बातों में गोविन्दो से पूछा मूर्तियों के पीछे का सच, तब उन्होंने कहा की पहले मूर्तियों के लिए विशेष मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता था... पर अब हम यही हरियाणा की मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं। वही मां दुर्गा की मूर्ति की आंखे रात में सिर्फ इसलिए बनाई जाती हैं ताकि कोई डिस्टर्ब ने करे।

बात जब कारीगरों की मज़दूरी की आई तब गोविन्दों जी बड़ी संजीदगी से कहा की काम तो 12 महीने मिलता हैं पर सही मज़दूरी नहीं मिल पाती जिसकी वजह से कारीगरों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता हैं।

पर सबसे अहम सवाल था विसर्जन का हमने अभी बहुत सी गणेश विसर्जन कि वायरल वीडियो देखने को मिली जिसमे गणेश जी कि मूर्तियां फेंकी जा रही थी। कुछ मूर्तियां समुद्र, नदियों के बाहर कचरे में फेंकी हुई दिखीं.. इसपर गोविन्दों जी ने कहा की हम कोशिश कर रहे हैं हमारी मूर्तियां Eco-फ्रैंडली ही बने। जिस कारण हम बेहतर रंगों का इस्तेमाल करते हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान कम पहुंचे।

Maa Durga

Maa Durga

चलिए इन्होनें कम से कम इस बारे में सोचा की मुर्तिया Eco -फ्रैंडली पर क्या हम भक्तों ने इस बात को सोचा की पूजा तो कर लेंगे पर मां का विसर्जन कहा करेंगे... और विसर्जन के बाद जो कचड़े में माँ की प्रतिमाएँ पड़ी होंगी तो क्या हमें पुण्य मिलेगा. सवाल बड़ा सीधा हैं और उसका समाधान भी भक्तों को खोजना पड़ेगा की जिस ईश्वर को वो पूजते हैं क्या उन्हें वही सम्मान विसर्जन के बाद भी मिल जाता है।

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