Monday, November 25, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. Navratri 2018: नवरात्र के चौथे दिन होगी स्कंदमाता की पूजा, जानें पूजा विधि और भोग

Navratri 2018: नवरात्र के चौथे दिन होगी स्कंदमाता की पूजा, जानें पूजा विधि और भोग

नवरात्र का पांचवा दिन है। आज के दिन देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की उपासना की जायेगी। इनकी उपासना से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 13, 2018 17:59 IST
Skandmata- India TV Hindi
Skandmata

धर्म डेस्क: नवरात्र का चौथे दिन है। आज के दिन देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की उपासना की जायेगी। इनकी उपासना से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। बता दूं कि देवताओं के सेनापति कहे जाने वाले स्कन्द कुमार, यानि कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। स्कंदमाता अपने भक्तों पर उसी प्रकार अपनी कृपा बनाये रखती हैं, जैसे कोई भी माता अपने बच्चों पर बनाये रखती हैं। अतः देवी मां की कृपा बनाये रखने के लिये और घर-परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिये आज के दिन उनकी पूजा जरूर करनी चाहिए।

क्या है स्कंद माता का अर्थ

स्कंद का अर्थ है कुमार कार्तिकेय अर्थात माता पार्वती और भगवान शिव के जेष्ठ पुत्र कार्तिकय। जो भगवान स्कंद कुमार की माता है वही है मां स्कंदमाता। शास्त्रों के अनुसार भगवान स्कंद के बालरूप को माता अपनी दाई तरफ की ऊपर वाली भुजा से गोद में बैठाले हुए है। (13 अक्टूबर का राशिफल: मेष से लेकर मीन राशि के जातकों में से इन 7 राशियों की चमकेगी किस्मत )

स्कंदमाता स्वरुपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है, उसमें कमल-पुष्प लिए हुए हैं। (Navratri 2018: नवरात्र में घर के मुख्य द्वार पर लगाएं तोरण, फिर देखें कमाल)

ऐसे पड़ा मां का नाम स्कंद
देवी स्कन्द माता पर्वत राज हिमालय की पुत्री पार्वती हैं इन्हें ही माहेश्वरी और गौरी के नाम से जाना जाता है। माता पार्वती को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है अत: मां को अपने पुत्र के नाम के साथ अपना नाम लेना अच्छा लगती था। जिस कारण इन्हें माता के इस स्वरूप की पूजा करते है मां उस पर अपने पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं।

पूजा विधि
सबसे पहले चौकी पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। इसके बाद उस चौकी में श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। फिर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।

इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अ‌र्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

देवी मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां की पूजा के बाद शिव शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। देवी स्कन्द माता की भक्ति-भाव सहित पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है। वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए।

भोग
मां को केले का भोग अति प्रिय है। इन्हें केसर डालकर खीर का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement