धर्म डेस्क: अश्विनी शुक्ल पक्ष के साथ ही आज से शारदीय नवरात्र की शुरूआत हो रही है। पूरे नौ दिनों तक चलने वाले व्रत, उपवास आदि शक्ति उपासना ऋतु परिवर्तन के समय जठराग्नि के बदलते वेग को संतुलित करने में मदद करते हैं। इस बार मां दुर्गा नौका में चढ़कर आएगी और कुक्कूट यानी मुर्गे में बैठकर वापस जाएगी। इस बार शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरु हो रहे है। जो कि 29 सितंबर को समाप्त होगे।
नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना यानी कलश स्थापना की जाती है। जिसके साथ ही मां दुर्गा की अराधना की शुरुआत होती है। अगर आप भी अपने घर में घट स्थापना कर रहे है, तो जानिए इस पूजा विधि और मुहूर्त के बारें में।
शुभ मुहूर्त
पूरे दिन राहुकाल छोड़कर किसी भी समय कलश स्थापना कर सकते हैं।
दोपहर: 12 बजकर 48 मिनट से 2 बजकर 52 मिनट के बीच द्विस्वभाव लग्ने रहेगी।
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
ऐसे करें घट स्थापना
सबसे पहले एक साफ जगह पर मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उनके ऊपर अपनी इच्छानुसार सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश की स्थापना करें। कलश के ऊपर सोना, चांदी, तांबा, मिट्टी, पत्थर या चित्रमयी मूर्ति रखें। मूर्ति यदि कच्ची मिट्टी, कागज या सिंदूर आदि से बनी हो और स्नानादि से उसमें विकृति आने की संभावना हो तो उसके ऊपर शीशा लगा दें।
इसके बाद कलश पर स्वस्तिक बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
नवरात्र व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति की पूजा करें। दुर्गादेवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा मार्कण्डेयपुराणान्तर्गत निहित श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक रोजाना करना चाहिए।
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