धर्म डेस्क: नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। सिद्धिदात्री देवी सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। देवी के इस अंतिम रूप को नवदुर्गाओं में सबसे श्रेष्ठ व मोक्ष देने वाली दुर्गा माना गया है। माना जाता है कि केवल मां की पूजा सच्चे मन से करने से आपको पूरी 9 देवियों की कृपा मिलती है।
ऐसा है मां का स्वरुप
यह देवी भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, शंख, गदा व सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं।
आज के दिन पूजा करने से पूरी निष्ठा से साधना करने वाले व्यक्ति को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।
ऐसे करें पूजा
- नवमी के दिन इन्हीं की पूजा करना चाहिए। इस दिन कमल में बैठी देवी का ध्यान करना चाहिए।
- सुंगधित फूल अर्पित करें।
- आज मां को शहद अर्पित करें इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करें- ऊं सिद्धिरात्री देव्यै नम:
इस मंत्र से करें देवी का पूजन
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैररमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
ऐसे करें हवन
इस दिन हवन जरुर करें। जिससे कि हर देवी की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी। इस दिन जो आप हवन करें। उस सामग्री में जौ और तिल अवश्य मिलाएं। इसके बाद कन्या पूजन भी करें।
नवरात्र के आखिरी या फिर नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए नवान्न (नौ प्रकार के अन्न) का प्रसाद, नवरस युक्त भोजन तथा नौ प्रकार के फल-फूल आदि का अर्पण करना चाहिए। इस प्रकार नवरात्र का समापन करने से इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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