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20 साल बना ऐसा संयोग इस शुभ मुहूर्त में करें घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा

धर्म डेस्क: 20 साल बाद ऐसा हो रहा है जब अमावस्या और नवरात्र एक ही दिन पड़ रहे हैं। जिसके कारण भक्त सुबह अमावस्या के पितृ कार्य करें या फिर नवरात्र की कलश स्थापना। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा 20 साल बाद हुआ है जब तिथियों में इस तरह का फेर देखा जा रहा है

India TV Lifestyle Desk
Published : March 27, 2017 15:43 IST

shailputri

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पूजा विधि
सबसे पहले चौकी पर माता शैलपुत्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।

इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां शैलपुत्री सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

इस मंत्र से करें ध्यान
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥

अर्थात
देवी वृषभ पर विराजित हैं। शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा है। नवरात्रि के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए। साथ ही रोज शाम को देवी की आरती करनी चाहिए।

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