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नवरात्र का पांचवा दिन: संतान प्राप्ति के लिए ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा

स्कंद माता का चार भुजाएं है, ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद को गोद में पकड़े है और दाहिनी निचली भुजा में जो ऊपर की ओर उठा है उसमें कमल लिए हुए है। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। जानिए पूजा विधि के बारें में...

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: September 25, 2017 11:41 IST
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धर्म डेस्क: नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के रुप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को कार्तिकेय की माता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि संतान की प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना करनी चाहिए।

स्कंदमाता का स्वरुप

स्कंद का अर्थ है कुमार कार्तिकेय अर्थात माता पार्वती और भगवान शिव के जेष्ठ पुत्र कार्तिकय। जो भगवान स्कंद कुमार की माता है वही है मां स्कंदमाता। शास्त्रों के अनुसार
भगवान स्कंद के बालरूप को माता अपनी दाई तरफ की ऊपर वाली भुजा से गोद में बैठाले हुए है।

स्कंदमाता स्वरुपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है, उसमें कमल-पुष्प लिए हुए हैं।

ऐसे पड़ा मां का नाम स्कंद
देवी स्कन्द माता पर्वत राज हिमालय की पुत्री पार्वती हैं इन्हें ही माहेश्वरी और गौरी के नाम से जाना जाता है। माता पार्वती को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है अत: मां को अपने पुत्र के नाम के साथ अपना नाम लेना अच्छा लगती था। जिस कारण इन्हें माता के इस स्वरूप की पूजा करते है मां उस पर अपने पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। पांचवे दिन मां की विधि-विधान से पूजा करें। जैसे कि आपने चार दिन पूजा की उसी प्रकार इनकी भी पूजा होती है।

देवी मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां की पूजा के बाद शिव शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। देवी स्कन्द माता की भक्ति-भाव सहित पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है। वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए।

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