धर्म डेस्क: नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां को सुगंधप्रिय है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि की मां के माते में चंद्र के आकार का चांद बना है। जिसके कारण इन्हें चंद्रघंटा नाम दिया गया है। इसके साथ ही मां का सिंह वाहन है और हर हाथ में शस्त्र है। जो लोग मां की विधि-विधान के साथ पूजा करते है। उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।
ऐसा है मां का स्वरुप
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि कि मां के दस हाथ हैं जिनमें शंख, कमल, धनुष-बाण, तलवार, कमंडल, त्रिशूल, गदा आदि शस्त्र धारण किया हुआ है। साथ ही गले में सफेद फूलों की माला है। उनके घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर और राक्षस भयभीत करते हैं।
माना जाता है कि मां की पूजा अगर विधि-विधान से की जाएं, तो वह दोनो हाथो से साधकों को चिरायु, सुख सम्पदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती हैं। इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। जानिए मां की पूजा विधि के बारें में।
ऐसे करें पूजा
सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद आपने जिन देवी-देवताओ एवं गणों व योगिनियों को आपने कलश में आमंत्रित किया है। उन्हें दही, घृत, शहद और दूध से स्नान कराएं। फिर अक्षत, फूल,चंदन, रोली लगाएं। इसके बाद मां को भोग खीर या किसी मिठाई से लगाएं।
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