वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि और बुधवार का दिन है। चतुर्दशी तिथि शाम 7 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। उसके बाद पूर्णिमा तिथि लग जाएगी | वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को श्री नृसिंह चतुर्दशी के रूप में मनाने का विधान है |
मान्यता है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यपु का वध किया था | लिहाजा आज के दिन भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की पूजा की जाएगी | आज के दिन व्रत करने की भी परंपरा है।
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भगवान नृसिंह की पूजा विधि
आचार्आय इंदु प्रकाश के अनुसार आज के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनकर, घर के उत्तर-पूर्व दिशा में नृसिंह भगवान की विधि-पूर्वक धूप दीप आदि से पूजा करनी चाहिए | फिर चंदन, कपूर, रोली, तुलसीदल, फल-फूल, पीले वस्त्र आदि भगवान को भेंट करें | साथ ही शारदातिलक में दिये भगवान नृसिंह के इस मंत्र का 32 बार जप नित्य करना चाहिए।
मंत्र है-
ॐ उग्रवीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखं ।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम् ॥
आज के दिन भगवान नृसिंह के इस मंत्र का जप करने आपको अथाह ज्ञान की प्राप्ति होगी, आपको किसी प्रकार का कोई भय नहीं होगा, आपको किसी तरह की बुरी शक्ति परेशान नहीं कर सकतीहै। साथ ही इस मंत्र के जप से अपने शत्रुओं समेत किसी का भी उच्चाटन कर सकते हैं। रोग और मृत्यु को भी स्तंभित करके अपने वश में कर सकते हैं।
शारदा तिलक नाम के तंत्र ग्रंथ के अनुसार इस मंत्र का पुरश्चरण 32 लाख । अगर आप इतने मंत्र का जाप न कर सकें तो 32 हजार या 32 सौ तो कर ही सकते हैं। मेरी राय में आज आप इस मंत्र का, कुछ न कुछ, संतोषजनक संख्या में जाप जरूर करिए। आप को जरूर फायदा होगा। जिन लोगों को इनसोमनिया यानि अनिद्रा कि शिकायत रहती है या जिन लोगों को बुरे सपने आते हैं, उनके लिए यह मंत्र राम बाण है।