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नरक चतुर्दशी 2019: नरक चौदस के दिन जरूर करें ये 3 काम, यम के भय से मिलेगी मुक्ति

शास्त्रों के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन कौन-से कार्य किये जाने का विधान है। जानें आचार्य इंदु प्रकाश से इन कामों के बारे में। 

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : October 23, 2019 13:56 IST
Naraka Chaturdashi
Naraka Chaturdashi

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि और शनिवार का दिन है। त्रयोदशी तिथि 03 बजकर 57 मिनट तक ही रहेगी और 03 बजकर 58 मिनट से चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी | आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। अतः 26 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी है। दिवाली उत्सव का दूसरा दिन है। इसे रूपचतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन कौन-से कार्य किये जाने का विधान है। जानें आचार्य इंदु प्रकाश से कौन से ऐसे काम है जिन्हें नरक चतुर्दशी के दिन जरूर करना चाहिए। 

नरक चतुर्दशी का पहला कार्य है- तेल मालिश करके स्नान करना।

इस दिन सुबह स्नान से पहले पूरे शरीर पर तेल मालिश करनी चाहिए और उसके कुछ देर बाद स्नान करना चाहिए । भविष्योत्तर पुराण के पृष्ठ- 140|15-17 पर चर्चा है कि चतुर्दशी को लक्ष्मी जी तेल में और गंगा सभी जलों में निवास करती हैं । अतः आज के दिन तेल मालिश करके जल से स्नान करने पर मां लक्ष्मी के साथ गंगा मैय्या का भी आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति को जीवन में तरक्की मिलती है । कुछ जगहों पर तेल स्नान से पहले उबटन लगाने की भी परंपरा है।

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नरक चतुर्दशी का दूसरा कार्य- अपामार्ग की टहनियों को सिर पर घुमाने
इस दिन जड़ समेत मिट्टी से निकली हुयी अपामार्ग की टहनियों को सिर पर घुमाने की भी परंपरा है। भविष्योत्तर पुराण के पृष्ठ- 140|15-17 पर चर्चा है कि अपामार्ग के साथ लौकी के टुकड़े को भी सिर पर घुमाने की परंपरा का जिक्र किया गया है। कहते हैं ऐसा करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और व्यक्ति को नरक का भय नहीं रहता। दरअसल आज नरक चतुर्दशी के दिन जो भी कार्य किये जाते हैं, वो कहीं न कहीं इसी बात से जुड़े हुए हैं कि व्यक्ति को नरक का भय न रहे और वह अपना जीवन खुशहाल तरीके से, बिना किसी भय के जी सके। अतः अपने भय पर काबू पाने के लिये आज के दिन ये सभी कार्य किये जाने चाहिए।

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नरक चतुर्दशी का दूसरा कार्य तर्पण और दीपदान
आज के दिन यम देवता के निमित्त तर्पण और दीपदान का भी विधान है। पहले तर्पण की बात कर लेते हैं। आज के दिन दक्षिणाभिमुख होकर, यानि दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके, तिल युक्त जल से यमराज के निमित्त तर्पण करना चाहिए और ये मंत्र बोलना चाहिए-

यमाय नम: यमम् तर्पयामि।

तर्पण करते समय यज्ञोपवीत को अपने दाहिने कंधे पर रखना चाहिए और तर्पण करने के बाद यमदेव को नमस्कार करना चाहिए।

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