कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस साल नरक चतुर्दशी 3 नवंबर को मनाई जाएगी। यह दिवाली उत्सव का दूसरा दिन है। इसे रूप चतुर्दशी, छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यम देवता के निमित्त तर्पण और दीपदान का भी विधान है।
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। लेकिन हनुमान जी की जन्मतिथि को लेकर कुछ मतभेद हैं। कुछ लोग हनुमान जयंती यानि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि हनुमान जी का जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हुआ था। ग्रन्थों में इन दोनों का ही उल्लेख मिलता है। लेकिन इन दोनों के कारणों में भिन्नता देखने को मिलती है। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को जन्मदिवस के रूप में, जबकि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। अहम बात ये है कि इन दोनों ही तिथियों पर हनुमान जी की उपासना का विधान है।
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नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त
3 नवंबर के दिन त्रयोदशी तिथि सुबह 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगी इसके बाद चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होकर 4 नवंबर 2021 प्रात: 06 बजकर 03 मिनट तक रहेगी। इसीलिए अभ्यंग स्नान समय 4 नवंबर सुबह 6 बजकर 6 मिनट से 6 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
3 नवंबर के शुभ मुहूर्त
अमृत काल– सुबह 1 बजकर 55 मिनट से लेकर 4 नवंबर सुबह 3 बजकर 22 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त– सुबह 5 बजकर 2 मिनट से 5 बजकर 50 मिनट तक।विजय मुहूर्त - दोपहर 1 बजकर 33 मिनट से 2 बजकर 17 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 5 बजकर 5 मिनट से 5 बजकर 29 मिनट तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त- शाम 5 बजकर 16 मिनट से 6 बजकर 33 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त : रात 11 बजकर 16 मिनट से 12 बजकर 7 मिनट तक।
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नरक चतुर्दशी पूजा विधि
इस दिन यमराज, भगवान हनुमान के अलावा श्रीकृष्ण, मां काली, भगवान शिव और भगावन वामन की पूजा की जाती है। इस दिन 16 क्रियाओं से पूजा करें पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। इसके बाद सिंदूर, अक्षत आदि लगाकर धूप दीप जलाएं। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं। भगवान हनुमान को भोग वाली सामग्री में तुलसी का पत्ता जरूर रखें। उसके बाद आरती करें।
नरक चतुर्दशी के दिन करें ये 2 काम
नरक चतुर्दशी का पहला कार्य है तेल मालिश करके स्नान करना। इस दिन स्नान से पहले पूरे शरीर पर तेल मालिश करनी चाहिए और उसके कुछ देर बाद स्नान करना चाहिए। माना जाता है कि चतुर्दशी को लक्ष्मी जी तेल में और गंगा सभी जलों में निवास करती हैं, लिहाजा इस दिन तेल मालिश करके जल से स्नान करने पर मां लक्ष्मी के साथ गंगा मैय्या का भी आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति को जीवन में तरक्की मिलती है। कुछ जगहों पर तेल स्नान से पहले उबटन लगाने की भी परंपरा है।
नरक चतुर्दशी के दिन जड़ समेत मिट्टी से निकली हुयी अपामार्ग की टहनियों को सिर पर घुमाने की भी परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार कुछ ग्रन्थों में अपामार्ग के साथ लौकी के टुकड़े को भी सिर पर घुमाने की परंपरा का जिक्र किया गया है। कहते हैं ऐसा करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और व्यक्ति को नरक का भय नहीं रहता। दरअसल आज नरक चतुर्दशी को जो भी कार्य किये जाते हैं, वो कहीं न कहीं इसी बात से जुड़े हुए हैं कि व्यक्ति को नरक का भय न रहे और वह अपना जीवन खुशहाल तरीके से, बिना किसी भय के जी सके । लिहाजा अपने भय पर काबू पाने के लिये आज ऐसा भी करना चाहिए।
नरक चतुर्दशी के दिन ऐसे करें तर्पण
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार इस दिन तर्पण करते समय दक्षिणाभिमुख होकर यानि दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके तिल युक्त जल से यमराज के निमित्त तर्पण करना चाहिए और ये मंत्र बोलना चाहिए | मन्त्र है-
यमाय नम: यमम् तर्पयामि।
तर्पण करते समय यज्ञोपवीत को अपने दाहिने कंधे पर रखना चाहिए और तर्पण करने के बाद यमदेव को नमस्कार करना चाहिए।