धर्म डेस्क: दिवाली के पांच दिनों में से आज दूसरा दिन है। धनतेरस के बाद रूपचतुर्दशी आती है, इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। आज के दिन तेल मालिश कर स्नान करना चाहिए, इसके बारे में हमने आपको कल ही बता दिया था। साथ ही आज के दिन सिर पर जड़ समेत मिट्टी से निकली हुयी अपामार्ग की टहनियों को घुमाना चाहिए।
नरक चतुर्दशी के मुख्य कृत्यों में से एक दीपदान और यम देवता की पूजा भी है। आज के दिन दक्षिणाभिमुख होकर, यानि दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके तिल युक्त जल से यमराज का तर्पण करना चाहिए और मंत्र बोलना चाहिए-
यमाय नम: यमम् तर्पयामि।
अगर पिता जीवित हों तो यज्ञोपवीत बायें कंधे पर रखकर और यदि पिता न हों तो यज्ञोपवीत दाहिने कंधें पर रखकर तर्पण करना चाहिए।
पुराणों के अनुसार आज के दिन यमराज के 14 नाम लेकर यमराज को नमस्कार करने से नर्क नहीं जाना पड़ता है। मदन पारिजात नामक ग्रंथ के पृष्ठ 256 पर वृद्ध मनु के हवाले से यमराज के 14 नाम इस तरह बताये गये हैं-
यमाय धर्मराजाय मृत्यवे चांतकाय च, वैवस्वताय कालाय सर्वभूतक्षयाय च।
औदुम्बराय दध्नाय नीलाय परमेष्ठिने, व्रकोदराय चित्राय चित्रगुप्ताय वै नम:।।
यमदेवता के अलावा गुजरात में आज के दिन मां काली और हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। इसलिए गुजरात में इसे काली चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन दीप दान करने का भी बहुत महत्व है। मान्यताओं के अनुसार आज के दिन दीपदान करने से व्यक्ति पाप-कर्मों से छुट जाता है और अपने अन्दर एक नयी रोशनी, नयी ऊर्जा का संचार पाता है। तो आज के दिन दीपदान जरूर करना चाहिए, दीये जरूर जलाने चाहिए। जानिए राशि तके अनुसार किसे कितने दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
- मेष राशि वालों को घर की रसोई और नाली पर 2-2 दीये जलाने चाहिए।
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अदगी स्लाइड में पढ़े राशि के अनुसार कितने जलाएं दीपक